देहरादून,
उत्तराखंड की एक अलग पहचान पंच केदार के रूप में भी है।
जिसमें प्रथम भगवान केदारनाथ जी द्वितीय मद्महेश्वर जी तृतीय तुंगनाथ जी चतुर्थ रुद्रनाथ जी और पांचवे कल्पेश्वर नाथ जी आते है।
इनमें केदारनाथ जी के कपाट 03 नवंबर को,तुंगनाथ जी के 04 नवंबर को,रुद्रनाथ जी के 17 अक्टूबर को बंद हो गए है,और 20 नवंबर को मद्महेश्वर जी के कपाट बंद होंगे।
इन पंच केदारों में कल्पेश्वर नाथ जी का द्वार बारहों महीने खुला रहता है।
उत्तराखंड को देवभूमि और मातृभूमि भी कहा जाता है।क्यों कि यहां कण कण में भगवान का वास होता है।
ये हम नहीं कह रहे हैं,बल्कि यहां होने वाली भगवान के तरफ से चमत्कारी घटनाएं बताती है।
इसकी एक बानगी इस वीडियो में खुद देखा जा सकता है।
देखे भगवान जी की उत्सव डोली का वीडियो-
ये चमत्कारी घटना जिसके हजारों लोग साक्षात गवाह है ये भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली (चल विग्रह डोली) जो कपाट बंद होने के बाद अपने गद्दी स्थल मक्कू मठ को प्रस्थान कर रही थी कि जैसे ही अपने परंपरागत रास्ते से उत्सव डोली का रूट बदला भगवान जी की उत्सव डोली नए रस्ते पर जाने से मना कर दिया । उत्सव डोली ले जाने वाले पुजारी लोग नए रूट पर ले जाने के लिए बहुत कोशिश किए मगर भगवान जी उनको पीछे धकेल देते थे । पुजारी लोग लगभग 5 घंटे प्रयास किए मगर हर बार उनको असफलता ही मिली । वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि अपने परंपरागत रास्ते को छोड़ कर उत्सव डोली नए रस्ते पर एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी।
इस घटना का जिक्र पूरे उत्तराखंड में हो रहा है ।लोगों में चर्चा हो रही है कि जब हमेशा उत्सव डोली अपने परंपरागत रास्ते से ही जाती थी और इस बार भी उसी परंपरागत रास्ते से जा रही थी तो किसने और क्यों उस रस्ते को बंद कर दिया।
इस बात को लेकर जनमानस में बहुत चर्चा है,कोई सरकार को बोलता है कोई वन विभाग के अधिकारी को तो कोई किसी को कोई किसी को।
बहरहाल इसमें सरकार की छीछालेदारी ज्यादा हो रही है।
जब उत्सव डोली करीब 5 घंटे से ज्यादा रुकी रही तब मामला ऊपर तक गया और आनन फानन में परंपरागत रास्ते को भगवान जी के लिए खोला गया तब कही जा कर उत्सव डोली आगे बढ़ी।
ऐसे ही चमत्कारी घटनाएं इस देवभूमि में घटित होती रहती है,यही कारण है कि उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है।
Reported by- Praveen Bhardwaj