अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन समारोह में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऋषिकेश, न केवल चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार है, बल्कि यह विश्व योग और आध्यात्म का केंद्र भी है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड योग का उद्गम स्थल है और यहां की गंगा और योग भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं। इस महोत्सव में देश-विदेश के करीब 410 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 38 विदेशी साधक भी शामिल थे।
उन्होंने कहा कि योग और प्रणायाम के जरिये हम कोरोना जैसी महामारी से बच पाए। आज दुनिया भर के लोग भारतीय योग के प्रति आकर्षित होकर इसको अपनी लाइफ स्टाइल में शामिल कर रहे हैं। उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में नई-नई सम्भावनाएं तलाशी जा रही है सीमांत गांव जादुंग को पुनः होम स्टे के रूप में स्थापित किया जा रहा है। इसी तरह गरतांग वैली के पुराने मार्ग को पुनः शुरू किया जा रहा है।
टिम्मरसैण महादेव जहां पर स्वयं-भू शिवलिंग बर्फ के द्वारा बना हुआ है उसको पर्यटन की दृष्टि से और विकसित किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु इस स्थान तक पहुंच सकें।
मंत्री ने उत्तराखंड को योग की वैश्विक राजधानी बनाने के उद्देश्य से इस महोत्सव का आयोजन किया और भविष्य में राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने सीमांत गांव जादुंग और गरतांग वैली जैसे स्थानों को पर्यटन के लिए पुनः विकसित करने की योजना का जिक्र किया। इसके साथ ही, केदारनाथ और हेमकुण्ड साहिब के लिए रोपवे की योजना भी शीघ्र लागू करने की बात कही।
समारोह में विभिन्न योगाचार्यों को सम्मानित किया गया, जिनमें योगाचार्य श्रीमती भाग्यश्री जोशी, डॉ. सुरेन्द्र रयाल, स्वामी बोद्धी वर्धमान, और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। गढ़वाल मंडल विकास निगम की महाप्रबंधक श्रीमती विप्रा त्रिवेदी ने कार्यक्रम की सफलता पर आभार व्यक्त किया।
Reported By: Arun Sharma