अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के छठे दिन योग गुरू डॉ. नवदीप जोशी ने नाद योग के लाभों पर चर्चा की, जिससे बच्चों के चिड़चिड़ापन और हाइपर एक्टिविटी, युवाओं के तनाव और एडिक्शन जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। स्वामी आत्मस्वरूपानंद सरस्वती ने मानसिक और भावनात्मक बीमारियों में योग की भूमिका को बताया, वहीं चारू वाधवा ने फेस योग के लाभ, जैसे डिप्रेशन और माइग्रेन में सुधार, पर प्रकाश डाला।
डा. लक्ष्मीनारायण जोशी ने नाभि के रहस्यों और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की, जबकि डा. विजेन्द्र सिंह ने योग और रिसर्च मैथोलॉजी के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों के स्टाल भी लगाए गए, और 410 पंजीकरण के साथ 38 विदेशी प्रतिभागी इस महोत्सव में शामिल हुए।
स्वामी निरंजनानंद योग केन्द्र जमई बिहार के अध्यक्ष स्वामी आत्मस्वरूपानंद सरस्वती जी ने योग साधकों को बताया कि शरीर के अंदर 95 प्रतिशत बीमारियां मानसिक व भावनात्मक हैं। शरीर के रोग को तो दवा से ठीक किया जा सकता है लेकिन मन तक कोई दवा जा नहीं सकती और मन तक कोई दवा जा सकती है तो वह योग विज्ञान ही है। योग मानसिक व भावनात्मक बीमारियों को दूर करने में सहायक है।
डा0 नवदीप जोशी ने कहा कि महिलाओं में नाॅर्मल डिलिवरी एवं स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की विधि भी नाद योग में बतायी गयी है। मनुष्य के शरीर में होने वाली 40 से अधिक बीमारियां जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर जैसी आधुनिक बीमारियां नाद योग के जरिए ठीक की जा सकती है। डा0 जोशी ने योग प्रतिभागियों को नाद योग के योगाभ्यास कराए।
आज योग की प्रासंगिकता व आवश्यकता इसलिए बढ़ गयी है कि हमने अपनी पुरानी जीवन शैली को छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में तनाव एक स्वभाविक प्रक्रिया है जो क्षणिक है, उद्दीपन बाह्य वातावरण से तनाव के कारण आता है शांत प्रकृति वाले व्यक्ति को चिड़ाने में बहुत वक्त लगेगा लेकिन अस्थिर चित्त वृति व चिड़चिडे़ व्यक्ति पर इस तरह के वातावरण का दुषप्रभाव जल्दी देखने को मिलता है।
Reported By: Arun Sharma