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राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड ने जारी किया परीक्षा परिणाम

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देहरादून, 16 अप्रैल 2025 ; सूबे के चिकित्सा शिक्षा विभाग को 54 नियमित फैकल्टी मिल गई है। राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से चयनित इन प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसरों को प्रदेश के विभिन्न राजकीय मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पदों के सापेक्ष तैनाती दी जायेगी। स्थाई फैकल्टी मिलने से मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण एवं प्रशिक्षण कार्यों में गुणात्मक सुधार होगा साथ ही शोधात्मक कार्यों में भी तेजी आयेगी। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में भी मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकेगा।

प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर हो इसके लिये राज्य सरकार हर स्तर पर काम कर रही है। इसी कड़ी में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेजों के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसरों के 156 पदों पर भर्ती के लिये राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजा गया था। जिसके क्रम में चयन बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर साक्षात्कार परीक्षा का आयोजन कर 54 अभ्यर्थियों का विषयवार चयन परिणाम जारी कर दिया है। जिसमें 18 प्रोफेसर तथा 36 एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं। निदेशक चिकित्सा शिक्षा विभाग डॉ. आशुतोष सयाना के मुताबिक चयनित संकाय सदस्यों को शीघ्र ही प्रदेश विभिन्न राजकीय मेडिकल कॉलेजों में तैनाती दी जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा जारी चयन परिणाम में एनॉटमी, पैथोलॉजी, पीडियाट्रिक्स विभाग में 2-2 प्रोफेसर का चयन हुआ है। इसी प्रकार बायोकैमेस्ट्री, ब्लड बैंक, कम्युनिटी मेडिसिन, डेंटिस्ट्री, फॉरेन्सिक मेडिसिन, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपीडिक्स, फिजियोलॉजी, रेडियोथेरेपी में 1-1 जबकि माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 3 प्रोफेसर का चयन हुआ है। इसी प्रकार एनेस्थीसिया, कम्युनिटी मेडिसिन, डेंटिस्ट्री, फॉरेन्सिक मेडिसिन, जनरल सर्जनी, फार्माकोलॉजी, फीजियोलॉजी, बायोकैमेस्ट्री विभाग में 2-2 एसोसिएट प्रोफेसर का चयन हुआ है। जबकि एनॉटमी, ब्लड बैंक, माइक्रोबायोलॉजी, जनरल मेडिसिन, ऑप्थैल्मोलॉजी, आर्थोपीडिक्स, साईकाइट्री, रेडियोथेरेपी व पीडियाट्रिक्स में 1-1, ऑब्स्टेट्रीक एंड गायनी व ओटो-राइनो-लेरिंगोलॉजी विभाग में 3-3 तथा पैथोलॉजी विभाग में पांच एसोसिएट प्रोफेसर का चयन हुआ है। निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने बताया कि संकाय सदस्यों की नियमित नियुक्ति से मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर होगी साथ ही कॉलेजों में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं शोध कार्यों को गति मिलेगी। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध चिकित्सालयों में मरीजों को भी बेहतर उपचार मिल सकेगा।

Reported By : Arun Sharma

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