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उत्तराखंड राज्य में “गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994” (PCPNDT Act) के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन देहरादून में किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य राज्य एवं जिला स्तर पर कार्यरत समुचित प्राधिकारी, जिला नोडल अधिकारी एवं कार्यक्रम से सम्बंधित अन्य अधिकारियों की कार्यक्षमता में वृद्धि करना था।
कार्यशाला में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से निदेशक डॉ. इन्द्राणी दास (पीसीपीएनडीटी) ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया साइट्स तथा अन्य ऑनलाइन माध्यमों पर लिंग चयन से संबंधित भ्रामक विज्ञापनों के बढ़ते चलन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पीसीपीएनडीटी अधिनियम, 1994 तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता और प्रचार-प्रसार बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम के प्रभावी अनुपालन हेतु जनपद स्तर पर निगरानी तंत्र को सशक्त बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला समुचित प्राधिकरणों को समयबद्ध निरीक्षण, पंजीकरण की समीक्षा, अल्ट्रासाउंड केंद्रों की निगरानी तथा पारदर्शी रिपोर्टिंग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। कार्यशाला में देश के विभिन्न माननीय न्यायालयों में पीसीपीएनडीटी अधिनियम से जुड़े मामलों की समीक्षा की गई, और उनके निर्णयों के आधार पर यह समझने का प्रयास किया गया कि किस प्रकार न्यायपालिका ने इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध कठोर रुख अपनाया है। यह जानकारी प्रतिभागियों के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन का स्रोत बनी।
Reported By: Arun Sharma