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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में गुरुवार को भी हुई । गुरुवार को सरकार की ओर से आरक्षण का रोस्टर कोर्ट में पेश किया गया । जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन के लिये आज का समय मांगा । जिस पर कोर्ट ने सुनवाई की तिथि कल 27 जून की निर्धारित कर दी । इधर गुरुवार को अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने आरक्षण को लेकर गठित समर्पित एकल आयोग की जिस रिपोर्ट के बहाने पंचायत चुनाव को लंबे समय तक टाला उस आयोग की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया ही नहीं । जबकि उसे पब्लिक डोमेन में आना चाहिए था । हाईकोर्ट ने इन मुद्दों पर शुक्रवार को सुनने का निर्णय लिया है ।
मुख्य न्यायधीश नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ के समक्ष महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर ने लम्बी पैरवी कर सरकार द्वारा 9 जून को जारी रूल्स व उसके बाद बने आरक्षण रोस्टर को सही साबित करने के तर्क रखे । महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था । 9 जून जारी यह रूल्स 14 जून को गजट नोटिफाई हो गया था ।
इन तर्कों को सुबह सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिये आज अपरान्ह में 1 बजे के लिये रखा । 1 बजे सरकार की ओर से आरक्षण रोस्टर का ब्यौरा कोर्ट के समक्ष रखा । जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखने के लिये समय मांगा । जिस पर कोर्ट ने कल 27 जून के समय दिया है । हाईकोर्ट ने कहा है कि उनकी मंशा चुनाव टालने की नहीं है लेकिन नियमों का पालन जरूरी है ।
याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 243 टी,डी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है । यह संवैधानिक बाध्यता है ।
Reported By: Arun Sharma