उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के ‘देवभूमि रजत उत्सव’ के अवसर पर देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में एक भावनात्मक और गर्वपूर्ण माहौल देखने को मिला। इस मौके पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व लोकसभा सांसद श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नगर निगम शहीद स्मारक पर पहुंचकर राज्य आंदोलन के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का संदेश
- त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन के पीछे उन सभी शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष है जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अलग राज्य की मांग को पूरा किया।
- उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आज हम सबको उन वीरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए जिन्होंने उत्तराखंड राज्य का सपना देखा और उसे साकार किया।”
- रावत ने आगे कहा कि यह समय राज्य के विकास के लिए मिलकर कार्य करने और राज्य आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने का है।
उपस्थित गणमान्य लोग
इस अवसर पर निवर्तमान महापौर श्रीमती अनिता ममगाई और राज्य आंदोलन से जुड़े कई वरिष्ठ आंदोलनकारी भी उपस्थित थे। उन्होंने भी शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और इस दिन को समर्पण और स्मरण का प्रतीक बताया।
राज्य स्थापना दिवस: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई थी, जब इसे उत्तर प्रदेश से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया।
- इस राज्य का गठन उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लंबे संघर्ष और बलिदान का परिणाम था। आंदोलन के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति और एकजुटता ने आखिरकार उत्तराखंड राज्य का सपना पूरा किया।
‘देवभूमि रजत उत्सव’ का महत्व
इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर ‘देवभूमि रजत उत्सव’ मनाया जा रहा है। यह केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के शहीदों के संघर्ष और बलिदान को याद करने का एक अवसर भी है। इस प्रकार के आयोजनों का उद्देश्य न केवल शहीदों और आंदोलनकारियों की स्मृति को जीवित रखना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाना भी है कि राज्य का गठन कितने बलिदानों और संघर्षों के बाद हुआ। यह दिन हमें यह संकल्प लेने की प्रेरणा देता है कि हम उत्तराखंड के विकास और समृद्धि के लिए अपने कर्तव्यों को पूरा करें।