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एक दिन पूर्व हरिद्वार तहसील में एक महिला लेखपाल के नाम से भूमि नामांतरण के लिए साढ़े चार हजार की रिश्वत लेते पकड़े गए आरोपी अनुज कुमार का महिला लेखपाल से संबंध ढूंढने में अब विजिलेंस और हरिद्वार प्रशासन को पसीना बहाना पड़ा रहा है हालांकि आरोपी अनुज पिछले करीब एक साल से तहसील में इसी तरह सक्रिय था। इस दौरान उसने न जाने कितनों को चूना लगाया होगा। अगर वह स्वयं को महिला लेखपाल का सहायक बताकर तहसील में सक्रिय था तो ऐसा नहीं माना जा सकता कि इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं थी। फिर, अपने स्तर पर किसी लेखपाल, पटवारी द्वारा सहायक रखने का यह पहला मामला नहीं है।
हरिद्वार तहसील में ऐसे ओर भी मामले हैं। लेखपाल पटवारियों पर पहले भी आफिस में नहीं बैठने के आरोप लगते रहे हैं हालांकि तर्क ये दिया जाता है कि उनके पास फील्ड वर्क ज्यादा है लेकिन इस परिस्थिति में भी वह आफिस के कार्यों के लिए निजी सहायक नहीं रख सकते लेकिन हरिद्वार तहसील में यह चलता आ रहा है। आरोप है कि कुछ अधिकारी तो दिनभर विवादित संपत्तियों की पड़ताल और उन्हें निपटाने में लगे रहते हैं। कुछ समय पूर्व एक पटवारी के भ्रष्टाचार और उसकी संपत्ति की जांच के लिए एक पूर्व राजस्व कर्मी ने राज्यपाल को भी शिकायत भेजी थी।
कुल मिलाकर तहसील में ऐसे क्रियाकलापों के एक नहीं अनेक मामले हैं। जिनकी अगर सही से जांच हो तो सच्चाई ज्यादा दूर नहीं..।
Reported By: Ramesh Khanna