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भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष व सासंद राज्य सभा डा. नरेश बंसल ने सदन मे त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल का समर्थन किया।
डा. नरेश बंसल ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय स्थापना बिल के समर्थन में बोलते हुए कहा कि जब वह बैंक की नौकरी छोड राजनीति में आये तो सबसे पहले उन्होंने भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ में प्रदेश महामंत्री के रूप में कार्य किया।
डा. नरेश बंसल ने सदन में कहा कि सहकारिता से उनका विशेष लगाव रहा है एवं सहकारिता हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। पुरातन काल से भगवान राम, भगवान कृष्ण के समय से सहकारिता से सब काम होते आए हैं।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि 2047 तक अगर हमें भारत को विकसित बनाना है एवं पुराना वैभव फिर से प्राप्त करना है उसकी तैयारी के लिए जो चीजें चाहिए वह हमारे यशस्वी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और गृह एवं सहकारी मंत्री श्री अमित शाह जी के कुशल मार्गदर्शन में युद्ध स्तर पर जारी हैै। सहकारिता के आधार पर जहां देश की आर्थिक स्थिति बदलेगी वहीं ग्रामीण भारत का आर्थिक विकास होगा। अंतोदय को बल मिलेगा एवं अंतिम श्रेणी पर बैठे व्यक्ति को समृद्धि मिलेगी।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि इन सब चीजों के प्रबंधन के लिए ऐसे युवकों, ऐसी बेटियों एवं ऐसे लोगों की आवश्यकता होगी जो प्रशिक्षित हों। आनंदमय निरवा के नाम से रूरल मैनेजमेट इंस्टीट््््यूट पहले से था। इन मैनेजमेंट बच्चों का काॅ-आॅपरेटिव क्षेत्र में बडा योगदान रहा है। अब त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना इसमें मील का पत्थर साबित होगी। इस विश्वविद्यालय का उद्येश्य सहकारिता आधारित शिक्षा प्रणाली को बढावा देना उसमें शोध के अवसर प्रदान करना सहकारी प्रबंधन कृषि, वित एवं ग्रामीण विकास से जुडे पाठ्यक्रमों को युवक-युवतियों तक पहुंचाना जिससे उन्हें अच्छे रोजगार के अवसर मिलेंगे, वह उद्यमशील और आत्मनिर्भर बनेंगे एवं सहकार से समृद्धि तक का हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी का जो संकल्प है वह पूरा होगा। यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा को बढावा देगा एवं प्रेक्टिकल ट्रेनिंग एवं प्रशिक्षण प्रदान करेगा जिससे भारत में सहकारी आंदोलन को ओर मजबूती मिलेगी।
डा. नरेश बंसल ने सदन में कहा कि आज सहकारिता का रूप व्यापक हुआ है। विभिन्न सैक्टरों में सहकारिता के प्रवेश से सहकारिता का आयाम बढा है। साठ हजार प्राईमरी काॅपरेटिव एग्रीकल्चर सोसाइटी के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में सहकार फल-फूल रहा है जिससे महिलाओं एवं युवाओं को काम मिला है जिससे वह आसानी से अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं। सेल्फ हेेल्प ग्रुप भी एक प्रकार से सहकारिता का ही रूप है जिसमें महिलाएं एवं अन्य छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर अचार, हैण्डलूम, बुनाई का काम करते हैं।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आदरणीय मोदी जी का सहकार से समृद्धि का जो लक्ष्य है उस उद्येश्यक की पूर्ति की दिशा में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है जो सहकारिता के क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करेगा। डा. नरेश बंसल ने सदन में बताया कि पिछली यूपीए सरकार के मुकाबले आज 9.7 गुना अधिक बजट सहकारिता मंत्रालय का है। पिछली सरकारों में जहां सहकारिता एवं ग्रामीण कारीगारों को प्राप्त सहायता नहीं मिलती थी उनकी उद्यमिता और मिल बंद हो जाती हैं और मोदी सरकार में यह फल-फूल रही है इस सैक्टर को एवं सहकारी ढांचे को मजबूत कर हाशिये पर मजबूत समुदायों को सशक्त बनाने का काम मोदी सरकार में हुआ हैै। मोदी जी ने 2021 में सहकारिता विभाग जो कृषि के साथ था उसे अलग किया जिससे सहकारिता पर विशेष ध्यान दिया जा सके एवं सहकारिता के ज्ञाता माननीय अमित शाह जी के नेतृत्व में उसमे निरंतर विकास कार्य जारी है।
इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद देश-विदेश से भी छात्र इसमें पढने आयेंगे एवं यहां के छात्रों को भी विदेशी इंटरेक्शन का योगदान मिलेगा।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि मोदी सरकार सहकारिता को मजबूत करने के लिए समय-समय पर विभिन्न अधिनियम लाती रही है। वर्तमान विधेयक के माध्यम से मोदी सरकार देश में सहकारी आंदोलन को संस्थानों के एक नेटवर्क के माध्यम से मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से सहकारी क्षेत्र में कुशल कार्य करने वालों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
क्षमता निर्माण में इस पर विशेष ध्यान देन से तकनीकी दक्षता में वृद्धि होगी एवं कुशल अधिक संख्या में लोग सहकारी शासन में भागीदारी कर सकेंगे। सहकारिता में हुए यह मजबूत कार्य भारत की अमृत पीढी को सशक्त बनाकर विकसित भारत 2047 की मजबूत नीव रखने का काम करेगें। डा0 नरेश बंसल ने सभी अन्य सदस्य गण से भी इस बिल के समर्थन का निवदेन किया।
Reported By : Rajesh Kumar