मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दायित्व वितरण भी तरसा तरसा कर कर रहे हैं। दायित्व धारियों की दो सूची जारी कर उन्होंने फिर मौन साध लिया है। मंत्री पद के दावेदार भी टकटकी लगाए कुर्सियों को निहार रहे हैं लेकिन साहब बेरहम बने हुए हैं हालांकि मंत्री बनाना या न बनाना ये सरकार और संगठन के विवेकाधिकार का मामला है। सरकार की जिम्मेदारी केवल इतनी है कि काम सुचारू रखने के लिए मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों की संख्या पूरी रखें।
फिलहाल मंत्रिमंडल में पांच कुर्सियां खाली हैं साथ ही हरिद्वार का प्रतिनिधित्व भी नहीं है। माना जा रहा है कि कम से कम तीन नये मंत्रियों को जरूर एडजस्ट किया जाएगा।और इनमें हरिद्वार जिले से एक मंत्री अवश्य होगा। इसके लिए हरिद्वार विधायक मदन कौशिक व रानीपुर विधायक आदेश चौहान के नाम चर्चा में हैं। कोई उलटफेर हुआ तो प्रदीप बत्रा की भी लाटरी लग सकती है।
पहले कैबिनेट में चार सीटें खाली थीं, प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद शहरी विकास और वित्त मंत्री की महत्वपूर्ण कुर्सी भी खाली हो गई है।
इससे मंत्रिमंडल विस्तार जरूरी हो गया है। पार्टी और सरकार पर भी विधायकों का दबाव बढ़ता जा रहा है।
उधर मुख्यमंत्री धामी के सामने बड़ी चुनौती विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की भी है और पार्टी को हर जिले को प्रतिनिधित्व भी देना है। मंत्रिमंडल के लिए इस पैमाने पर
जो नाम चर्चा में हैं, उनमें गढ़वाल क्षेत्र से मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, खजान दास, मदन कौशिक, आशा नौटियाल और बिशन सिंह चुफाल शामिल हैं। इनमें से किसी को भी धामी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
मंत्रिमंडल में अपनी संभावनाएं देख रहे कई विधायक लगातार दिल्ली और देहरादून दौड़ लगा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री जी अपना पिटारा खोल ही नहीं रहे! लेकिन इस पर जल्द फैसला लिया जा सकता है। क्योंकि
संगठनात्मक संतुलन और क्षेत्रीय समीकरण मजबूत रखने और सभी क्षेत्रों और वर्गों को संतुष्ट रखने के लिए यह करना सरकार के लिए जरूरी है।
Reported By: Ramesh Khanna