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साध्वी भगवती सरस्वती जी की सन्यास रजत जयंती पर आध्यात्मिक उत्सव

Spiritual celebration

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परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आज डा. साध्वी भगवती सरस्वती जी की सन्यास दीक्षा की 25वीं रजत जयंती अत्यंत श्रद्धा और भव्यता से मनाई गई। यह उत्सव उनकी भक्ति, सेवा और आध्यात्मिक समर्पण की प्रेरक यात्रा का प्रतीक रहा। अमेरिका में जन्मी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षित साध्वी जी ने 1996 में भारत आकर सन्यास लिया और तब से पूरी तरह भारत की सेवा में समर्पित हैं।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती, स्वामी रामदेव, महामंडलेश्वर स्वामी राजेन्द्र दास, स्वामी रविन्द्र पुरी, आचार्य बालकृष्ण सहित अनेक पूज्य संतों ने उनके कार्यों और समर्पण की सराहना की। साध्वी जी को एक ऐसी आधुनिक संत बताया गया, जो पूर्व और पश्चिम, विज्ञान और अध्यात्म के बीच सेतु बनकर उभरी हैं।

साध्वी जी ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने कुछ नहीं छोड़ा बल्कि भारत में सब कुछ पाया है। उनका जीवन गंगा माता, भारत माता और धरती माता को समर्पित है। उनका संदेश था – “सफलता संग्रह में नहीं, संबंध और सेवा में है।”

पिछले ढाई दशकों से वे परमार्थ निकेतन की अंतर्राष्ट्रीय निदेशिका, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र सहित कई वैश्विक मंचों की प्रतिनिधि के रूप में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रही हैं।

यह उत्सव न केवल साध्वी जी का सम्मान था, बल्कि पूरे विश्व को भारतीय आध्यात्मिकता की गहराई और उसकी सार्वभौमिकता का संदेश देने वाला एक राष्ट्र और संस्कृति का पर्व बन गया।

Reported By: Arun Sharma

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