देहरादून।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से राजधानी देहरादून में राज्य का पहला सोलर मेला “सौर्य कौथिग” आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की।
मुख्यमंत्री ने मेले का उद्घाटन करते हुए कहा, “सरकार स्थायी ऊर्जा के क्षेत्र में हर संभव प्रयास कर रही है। इस तरह के आयोजन निकट भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे।” उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहन देकर राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा, “यह देश में अपनी तरह का पहला आयोजन है और उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सरकार ऊर्जा क्षेत्र के लिए हर साल 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करती है। अगर सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया गया, तो इसका लाभ न केवल सरकार को, बल्कि प्रदेश की जनता को भी मिलेगा।”
राज्य के लिए मील का पत्थर
“सौर्य कौथिग” में सौर ऊर्जा से संबंधित विभिन्न तकनीकों और उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। इस मेले के माध्यम से सौर ऊर्जा के लाभों और इसके प्रयोग के तरीकों पर नागरिकों को जागरूक किया गया। आयोजन में कई स्टॉल लगाए गए, जहां सोलर पैनल, सोलर वाटर हीटर और अन्य उत्पादों की जानकारी दी गई।
सरकार का विजन
उत्तराखंड सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में रूफटॉप सोलर प्लांट को बढ़ावा देने के लिए 70% तक सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, पीएम सूर्यघर योजना और मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत नागरिकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
मुख्य विशेषताएं
- ऊर्जा बजट: राज्य सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
- नई नीति: 2027 तक राज्य में 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य।
- जनजागरूकता: सोलर वैन के माध्यम से सौर ऊर्जा के लाभों का प्रचार-प्रसार।
- अनुदान: सोलर पावर प्लांट और सोलर वॉटर हीटर पर 50% तक सब्सिडी।
आयोजन में मुख्य बिंदु
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के अलावा, मेले में ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों, उद्यमियों और बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया। इस आयोजन ने सौर ऊर्जा को लेकर उत्तराखंड में नई उम्मीदें जगाई हैं।
“सौर्य कौथिग” राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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Reported by- Shiv Narayan