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परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित मासिक श्रीराम कथा के पावन अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज के प्राकट्य दिवस के दूसरे दिन एक दिव्य आध्यात्मिक संगम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देशभर से पधारे संतों, विद्वानों और भक्तों ने स्वामी जी के सेवा, समर्पण और पर्यावरण संरक्षण से युक्त जीवन को नमन किया।
कार्यक्रम में जगद्गुरु स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयारामदास जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, संत मुरलीधर जी, पं. रवि प्रपन्नाचार्य जी और राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश परमार्थी जी सहित अनेक विशिष्ट जनों ने भाग लिया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन को परमात्मा का उपहार बताते हुए सेवा और प्रकृति की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म कहा। उन्होंने राजस्थान में वैदिक और वेलनेस विश्वविद्यालय की स्थापना के विचार का उल्लेख किया।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने स्वामी जी के जीवन को एक ज्योति और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। अन्य संतों ने भी स्वामी जी की वैश्विक स्तर पर सनातन संस्कृति की सेवा की प्रशंसा की।
समापन पर स्वामी जी ने सभी संतों को रूद्राक्ष का पौधा और श्रीराम परिवार का चित्र भेंट कर सम्मानित किया।
Reported By: Arun Sharma