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शीतला अष्टमी: बासी खाने का भोग और चेचक की देवी की पूजा

Sheetla Ashtami

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आज शीतला अष्टमी है। यह भी हिन्दुओं का एक पर्व है जिसमें शीतला माता का व्रत और पूजन किया जाता है। ये होली सम्पन्न होने के अगले सप्ताह या आठवें दिन करते हैं। शीतला माता को पुराने समय से चेचक की देवी के रुप में भी पूजा जाता है।

इनका पुजारी कुम्हार होता है। शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से प्रारंभ होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर इनकी पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन ही की जाती है। भगवती शीतला की पूजा का विधान भी विशिष्ट होता है। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग यानि बसौड़ा तैयार किया जाता है। अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और बाद में पुजारी कुम्हार को समर्पित किया जाता है तत्पश्चात् भक्तों के बीच यह प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस कारण से ही संपूर्ण उत्तर भारत में शीतलाष्टमी त्यौहार, बसौड़ा के नाम से विख्यात है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना, खाना बंद कर दिया जाता है। इस पर्व वैज्ञानिक आधार भी है कि इसके बाद गर्मियां बढ़ने लगती हैं जिससे भोजन जल्द खराब होने लगता है। आमतौर पर चेचक का प्रकोप भी इस ऋतु के बाद बढ़ता है। हरिद्वार के कनखल में स्थित शीतला माता मंदिर में आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा के लिए पहुंचते हैं।

 

Reported By: Ramesh Khanna

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