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एक बार गुरु गोरखनाथ जी तपास्या के लिऐज्वाला देवी का मंदिर पहुंचें जो हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा ज़िले मे हैं, जब ज्वाला जी ने नाथ संप्रदाय के महान गुरु भगवान गोरखनाथ जी को अपने स्थान पर तपस्या करते हुऐ देखा तो ज्वाला माता इतनी प्रसन्न हुई कि उन्होने गुरु गोरखनाथ जी से उनके यहां भोजन करने का अनुरोध किया मगर गुरु गोरखनाथ जी ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया, ज्वाला माता ने काफी आग्रह किया कि वह उनको भोजन करवाना चहाती हैं, अखिर कार गुरु गोरखनाथ जी ने न्योता स्वीकार कर लिया, मगर बाबा गोरखनाथ जी ने कहा कि भोजन में सिर्फ खिचड़ी खाना चहाते हैं जिसे आप को खुद अपने हाथों से बनाना और
हाँ ये खिचड़ी जल्दी बनाईये वयोकि हमें यहा से शिध्र प्रस्थान करना हैं, फिर गुरु गोरखनाथ जी ने कहा कि हम गाँव जा कर खिचड़ी के लिऐ चवाल और दाल मांग के लाते है तब तक आप खिचड़ी को पकाने के जल कुंड को गर्म करे जब कुंड का जल गर्म हो जायेगा तब में यहा प्रकट हो जाऊगा, गुरु गोरखनाथ जी इतना कह के वहा से चल दिये फिर ज्वाला माता ने गुरु जी के कहे अनुसार एक जल कुंड के चारो तरफ ज्वालाऐं प्रकट कर दी जिसके फल स्वरुप जल जल्दी गर्म होने लगा मगर चमात्कार देखिऐ देखने पर जल उबलता हुऐ प्रतित हो रहा था और हाथ लगाने पर ठंडा लग रहा था,
आज भी ये स्थान ज्वाला जी पीठ मे मौजूद है इस स्थान को “गोरख डिब्बी” के नाम से जाना जाता हैं, अपने कहे अनुसार गुरु गोरखनाथ जी वापिस नही आये फिर ज्वाला जी ने उनको वापिस बुलवाने के लिये अपने चेले
नागाअर्जुन(नागानाथ जो नौ नाथो मे से एक है) उनको भेजा परंतु वो वापिस लोट कर नही आऐ फिर ज्वाला जी ने अपने एक ओर चेले भीम को भेजा गुरु गोरखनाथ जी को वापिस लाने के लिये,भीम गुरु गोरखनाथ को खोजते खोजते रोहिणी और ताप्ती नदियों के सगंम पर पहुचें और इस जगह को गोरखपुर के नाम से जाना जाने लगा,भीम भी वापिस लौट के ज्वाला माता के पास नही गये, दोस्तो आज भी ज्वाला माता गुरु गोरखनाथ जी का इंतजार कर रही हैं।
गुरु गोरखनाथ जी ने ज्वाला माता की खिचड़ी इसलिए नही खाई वयोकि 52 शव्ति पीठों मे माता को बली चढ़ती है मगर गुरु गोरखनाथ जी शुद्ध वौष्णो है इसलिए गुरु गोरखनाथ जी ने ज्वाला माता की खिचड़ी नही खाई, दोस्तो गुरु गोरखनाथ जी ने सिर्फ माता वौष्णो देवी जी के ही न्योते
को स्वीकार किया था वयोकि वह शुद्ध वौष्णो है, वह श्रीधर पंड़ित जी के भण्डारे मे अपने 300 चेलो और अपने प्रिय चेले तांत्रिक भैरवनाथ जी के साथ गये थे। बोलो गुरु गोरखनाथ की जय बोलो ज्वाला महामाई की जय..
Reported By: Ramesh Khanna