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जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जलस्रोतों के संरक्षण हेतु विचार विमर्श

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उज्जैन में माँ क्षिप्रा तीर्थ परिक्रमा के सफल समापन पर रामघाट पर विशेष भजन और भक्ति संध्या का आयोजन हुआ। इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सहभाग किया, जिससे कार्यक्रम को एक विशेष आध्यात्मिक ऊँचाई मिली।

माँ क्षिप्रा की आरती के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने ‘जल ही जीवन है’ जैसे भजनों के साथ भक्ति में डूबकर संदेश दिया कि नदियाँ केवल जलधाराएँ नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक जीवनधाराएँ हैं। एक विशेष लेजर शो के माध्यम से नदियों की महत्ता, जल संकट और संस्कृति से उनके जुड़ाव को रोचक और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के दौरान जल गंगा संवर्धन अभियान पर चर्चा हुई और जल स्रोतों के संरक्षण का संकल्प लिया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नदी का सूखना केवल जल का नहीं, संस्कृति का संकट है। उन्होंने माँ क्षिप्रा और नर्मदा के तटों पर आरती की परंपरा शुरू करने तथा वैदिक गुरुकुल, योग व ध्यान केंद्रों की स्थापना का सुझाव दिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार नदियों की स्वच्छता व अविरलता को लेकर प्रतिबद्ध है और विज्ञान व परंपरा के समन्वय से काम किया जाएगा। प्रमुख सचिव पर्यटन  शिव शेखर शुक्ला, सांसद उमेशनाथ जी महाराज,  अनिल फिरोजिया सहित कई गणमान्य अतिथि इस अवसर पर उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुओं, विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने माँ क्षिप्रा को स्वच्छ और अविरल बनाए रखने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य जन जागरण को जन संकल्प में बदलते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए जलधाराओं को सुरक्षित करना है।

अंत में, पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की आत्मा की शांति हेतु विशेष प्रार्थना की गई।

Reported By: Arun Sharma

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