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उत्तराखंड में बिगड़ती कानून व्यवस्था, बढ़ते अपराध, नशे का प्रकोप और जंगली जानवरों के हमलों को लेकर सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की गई है। वक्ताओं ने कहा कि राज्यभर में होटलों, होमस्टे, शिक्षा संस्थानों, और कैंपों में कार्यरत कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया जाए और यदि कोई अपराधी पाया जाए, तो उसे कठोर सजा दी जाए।
उन्होंने चिंता जताई कि राज्य में युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में है और नशा माफिया राजनीतिक संरक्षण के चलते फल-फूल रहे हैं। ऐसे में नशा और माफियाओं के विरुद्ध सख्त कानून बनाना आवश्यक है। साथ ही सीमांत जनपदों से 56,000 महिलाओं और लड़कियों के गायब होने का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि उत्तराखंड मानव तस्करी के चंगुल में आ गया है। इसलिए मानव तस्करी रोकने के लिए भी कड़े कानून बनाए जाएं।
प्रदेश में दिनदहाड़े हो रही हत्याओं और हाल ही में भाजपा नेता रोहित नेगी की हत्या का जिक्र करते हुए कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए गए। हरिद्वार में नाबालिग बच्ची के शोषण के मामले में गिरफ्तार पूर्व भाजपा नेत्री की पीसी रिमांड की मांग की गई ताकि अन्य दोषियों का भी पता लगाया जा सके।
इसके अलावा, जंगली जानवरों से हो रहे जान-माल के नुकसान पर भी चिंता जताई गई। कहा गया कि लोग अपनी सुरक्षा के लिए पलायन को मजबूर हैं, जिससे पहाड़ वीरान होते जा रहे हैं। इस पर रोक के लिए सुरक्षा कानून बनाने की मांग की गई।
राज्य के मौलिक विकास के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र आधारित भू-कानून लागू करने, ग्रामीण परिवारों को ₹10,000 ग्रीन बोनस देने, शिक्षा व स्वास्थ्य की नि:शुल्क व्यवस्था सुनिश्चित करने और स्थानीय बेरोजगारों को उद्योगों में 80% आरक्षण देने की मांग रखी गई।
वक्ताओं ने कहा कि वन कानूनों का सरलीकरण कर रुके हुए विकास कार्य जैसे कि मोटर मार्ग और पुल निर्माण को शीघ्र पूरा किया जाए, जिनका वादा सरकार ने 20 वर्ष पहले किया था लेकिन आज तक उन्हें पूरा नहीं किया गया।
Reported By: Pawan Kashyap