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ब्यूरो: गंगा दशहरा के पावन पर्व पर हरिद्वार एक बार फिर आस्था के महासागर में डूब गया। देशभर से लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए हरिद्वार पहुंचे। सुबह से ही हर की पौड़ी, मालवीय घाट, सुबाष घाट और अन्य प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु रात से ही हरिद्वार पहुंचने लगे, जिससे शहर की सड़कों पर भारी भीड़ जमा हो गई।
पर्व के महत्व को देखते हुए श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बन रही थी। लोग गंगा में स्नान कर दान-पुण्य करते हुए अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे थे। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है। इसी विश्वास के साथ श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचे। इस बार की भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बताई जा रही है।
श्रद्धालुओं की भारी संख्या के चलते शहर की यातायात व्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर शहर के भीतर की सड़कों तक वाहन रेंगते नजर आए। हर की पौड़ी तक पहुंचने में लोगों को घंटों का समय लगा। पुलिस और प्रशासन की ओर से पहले से ही सुरक्षा और ट्रैफिक कंट्रोल के व्यापक इंतजाम किए गए थे, लेकिन भीड़ की अप्रत्याशित संख्या ने व्यवस्था को चुनौतीपूर्ण बना दिया।
प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी और जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई। घाटों पर जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहीं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। स्वास्थ्य विभाग ने भी आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष इंतजाम किए थे। शहर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों की ओर से जलपान व भंडारे की व्यवस्था की गई थी।