ऋषिकेश, 29 नवंबर। बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी की नौ दिवसीय सनातन हिंदू एकता यात्रा का भव्य समापन ओरछा में हुआ। इस अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज, आचार्य श्री मृदुल कांत जी, महंत श्री राजूदास जी और वृंदावन एवं अयोध्या के अन्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।
भव्य समापन का संदेश: सनातन बचेगा तो संसार बचेगा
आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने यात्रा के उद्देश्य को साझा करते हुए कहा कि यह यात्रा भेदभाव मुक्त भारत के संकल्प के साथ शुरू हुई थी। उन्होंने कहा, “जब तक तन में प्राण है, तब तक हिंदुओं के लिए यात्रा करते रहेंगे।”
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा, “यह यात्रा केवल धार्मिक जागरण का प्रतीक नहीं है, बल्कि समरसता और करुणा की भावना को मजबूत करने का एक उत्कृष्ट प्रयास है।” उन्होंने इसे समाज में व्याप्त ऊंच-नीच और जात-पात की मानसिकता को समाप्त करने का महासंकल्प बताया।
यात्रा का व्यापक उद्देश्य
- भेदभाव मुक्त भारत: स्वामी जी ने कहा कि यह यात्रा समाज को जाति, पंथ और छुआछूत से ऊपर उठाने का संदेश देती है।
- सनातन धर्म का विस्तार: यात्रा के माध्यम से सनातन धर्म की मूल विचारधारा – समस्त मानवता के कल्याण – को सशक्त किया गया।
- नफरत की दीवारें तोड़ने का आह्वान: “यह समय दिलों को जोड़ने का है। जहां-जहां हिंदू कम हो रहे हैं, वहां आतंक बढ़ रहा है।”
यात्रा के दौरान प्रेरणादायक पहलें
- मोबाइल फास्टिंग का संकल्प: स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने एक घंटा मोबाइल का उपयोग छोड़ने और उस समय को राष्ट्र सेवा में लगाने का संकल्प कराया।
- पर्यावरण संरक्षण: पौधारोपण और सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने का आह्वान किया गया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को समर्थन: इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत और पर्यावरण संरक्षण अभियानों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।
भविष्य की योजनाएं और संदेश
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि यह यात्रा समाप्त नहीं हुई है; यह एक महायात्रा का प्रारंभ है। “यह यात्रा ओरछा में विराम नहीं ले रही, बल्कि नई ऊर्जा और संकल्प के साथ आगे बढ़ेगी।” उन्होंने महाकुंभ प्रयागराज से एक और व्यापक अभियान की योजना की घोषणा की।
स्वामी जी ने कहा, “सनातन की ध्वजा सदा लहराती रहेगी। सनातन बचेगा तो भारत बचेगा, और भारत बचेगा तो संसार बचेगा।”
समाप्ति का प्रेरक संदेश
इस यात्रा ने एकता, करुणा और सद्भाव का संदेश दिया। स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने सभी भक्तों और संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “आप सभी का सहयोग और समर्थन इस यात्रा की सफलता की नींव है। हमारी एकता और संकल्प शक्ति ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।”
यह यात्रा न केवल सनातन धर्म का गौरव बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि इसे भेदभाव मुक्त भारत और समरसता युक्त समाज बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
Reported By : Arun Sharma