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कांग्रेस में विमर्श शुरू । क्या खत्म होगा सत्ता का संघर्ष , चिंतन किया जा रहा है । सीडब्ल्यूसी की अहमदाबाद बैठक के बाद अब अधिवेशन आज होगा । जिन गांधी और पटेल को बीजेपी ले उड़ी , उन्हें बीजेपी से छीनने की कवायद । वह भी गुजरात की धरती पर ही ।
आजादी के बाद जब दोनों को साथ लेकर चलने की जरूरत थी तब कांग्रेस पार्टी नेहरू इंदिरा राजीव करती रही । आज भी सोनिया राहुल प्रियंका में उलझी है । अब गांधी पटेल की जन्मभूमि गुजरात है तो गुजरात की धरती पर उनकी वापसी की कोशिश करना अच्छी शुरुआत है । डर यह कि गांधी पटेल की विरासत जिन्होंने छीन ली है वे शाह मोदी भी गुजरात के हैं । 2027 में गुजरात यूपी उत्तराखंड के चुनाव भी हैं और उससे पहले कईं राज्यों में चुनाव । सो कमर कस रही कांग्रेस ।
पार्टी वर्किंग कमेटी की बैठकें होती ही पार्टी में जान फूंकने के लिए हैं । कांग्रेस भी वही कर रही है अच्छी बात है । हर पार्टी को सत्ता चाहिए , इसमें बुराई क्या है । जो पार्टी 11 साल से सत्ता से दूर है उसे निश्चित रूप से लौटने के लिए जी तोड़ कोशिश करनी पड़ेगी । कांग्रेस जानती है कि गठबंधन करना उसकी मजबूरी है । अकेले लड़ाई उसके बस की नहीं । वह भी तब जबकि सामने बड़ी पार्टी खड़ी हो । फिर भी कांग्रेस का हक है कि वह वापसी के लिए संघर्ष करे ।
लेकिन कैसे करेगी ? देखिए न कल सीडब्ल्यूसी के बैठक में न सोनिया बोलीं और न राहुल ? जिन प्रियंका को बड़ा दायित्व देने की बात है , वे गुजरात आई ही नहीं ? अभी वक्फ़ बिल पर भी संसद में प्रियंका आईं ही नहीं थीं , सोनिया और राहुल बोले ही नहीं ? बोलना तो क्या दोनों घर बैठे टीवी देखते रहे । सोनिया और प्रियंका पार्टी के पक्ष में वोट तक डालने नहीं आए । राहुल गांधी संसद में नेता प्रतिपक्ष के संवैधानिक पद पर बैठे हैं , फिर भी चर्चा में भाग नहीं लिया ? ऐसे में जीत आगामी चुनाव और यूपी गुजरात जीतना कितना आसान है , पार्टी विमर्श कर रही है ।
समय कहता है कि पार्टी तरुण गोगोई जैसे युवाओं को आगे लाए । पर इसके लिए पार्टी को दरबार से मुक्ति पानी होगी , जो मात्र कल्पना ही है । हाल ही में 9 मार्च को राहुल ने गुजरात में बोलते हुए अपनी पार्टी को ही नंगा कर दिया था । राहुल ने मंच से बोलते हुए अपनी ही पार्टी के नेताओं की गाल पर तमाचा जड़ दिया कि गुजरात कांग्रेस के आधे नेता बीजेपी से मिले हुए हैं । बताइए ! गुजरात में 30 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है । ऐसे फूहड़ भाषणों से कार्यकर्ताओं का कितना मनोबल कितना बढ़ा होगा , राहुल प्रियंका सोनिया ही जानें ।
बहरहाल आज पार्टी का अधिवेशन है । देखते हैं सत्ता में वापसी के लिए क्या क्या प्लान बनते हैं । कांग्रेस को समझना होगा कि गांधी , सुभाष , पटेल , लाला लाजपतराय आदि कांग्रेस की बपौती नहीं अपितु राष्ट्रनायक हैं । उन पर केवल अपना अधिकार मत जताइए ? एक बात जरूर कहेंगे । भाजपा चाहती है कि कांग्रेस पार्टी की कमान राहुल गांधी के ही हाथ में रहे । बीजेपी भले ही कांग्रेस मुक्त भारत का स्वप्न देखती हो ,चाहती यही है कि कांग्रेस की बागडोर राहुल गांधी के ही पास रहे ।
Reported By: Ramesh Khanna