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शीतकाल में पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है

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देहरादून, ब्यूरो : ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने रुद्रप्रयाग मुख्य बजार और गुलाबराय स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन किया।
इस दौरान स्थानीय भक्तों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।
गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ के शीतकालीन पड़ावों में शीतकालीन यात्रा कर लौटते समय वे रुद्रप्रयाग में पहुंचे।
यहां उन्होंने पहले प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर शीतकालीन यात्रा को लेकर पत्रकारों से वार्ता की।
उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा में ग्रीष्मकालीन यात्रा से ज्यादा पुण्य प्राप्त करने के अवसर हैं। ग्रीष्मकाल में अत्यधिक भीड़भाड़ के चलते लोगों को पूजा करने का वैसा अवसर नहीं मिल पाता है। इसलिए शीतकाल में अधिक से अधिक लोग चारधामों के शीतकालीन पड़ावों की ओर आएं और दर्शन करें।
शंकराचार्य ने कहा कि शीतकालीन यात्रा हमारी प्राचीन परम्परा है। देशभर में लोग समझते हैं कि कपाट बंद होने का अर्थ यह है कि अब पहाड़ों में ठंड बहुत हो जाएगी, यहां जाना मुश्किल है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि वे स्वयं लोगों को संदेश देने के लिए शीतकालीन यात्रा पर आएं हैं, ताकि शीतकालीन यात्रा का प्रचार प्रसार हो सके। उन्होंने कहा कि कई वर्षो के बाद हमने यह यात्रा की है। उन्होंने कहा कि बहुत लोग यात्रा पर आएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में शीतकालीन यात्रा गर्मियों जैसे चलेगी।
उन्होंने कहा कि पर्यटन और तीर्थाटन अलग विषय है। दोनों कारण से लोग उत्तराखंड आते हैं। दोनों को उनके अनुसार सुविधाएं दी जानी चाहिए।

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1- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज,

 

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