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हरिद्वार की नारायणी शिला: पितृ दोष निवारण और मोक्ष का पवित्र स्थल

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हरिद्वार में नारायणी शिला एक ऐसा स्थान है जहां देश ही नहीं विदेश से भी लोग पितृ दोष अकाल मृत्यु तथा अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान व “नारायणी” करवाने के लिए आते हैं।

वैसे तो यहां वर्ष भर पित्रों की शांति के लिए पीड़ित परिवार आते रहते हैं परन्तु पितृपक्ष में यहां भारी भीड़ रहती है नारायणी शिला के श्री महंन्त मनोज त्रिपाठी बहुत ही मृदुभाषी तथा विनम्र साधक है।

   

पुराणों तथा शास्त्रों के अनुसार एक गयासुर नाम का राक्षस ऋषि-मुनियों व् तपस्वियों को बहुत यातनाऐं देता था एक दिन नारद जी ने उसे समझाया कि ऐसे कृत्यों से उसका भविष्य क्या होगा?

तब उसने नारद जी के चरण पड़कर अपनी मुक्ति का मार्ग पूछा, नारद जी ने उसे बताया कि तेरी मुक्ति केवल भगवान श्री विष्णु ही कर सकते हैं ।

       

नारद जी की प्रेरणा से गयासुर ने बद्रिकाश्रम से भगवान नारायण का कमल स्वरूप श्री विग्रह का हरण किया क्योंकि भगवान ने उसको दर्शन नहीं दिए तब श्री विग्रह लेकर चला भगवान ने केश पड़कर जिस स्थान पर रोका और गयासुर से गदा युद्ध में भगवान की गदा से भगवान का श्री विग्रह तीन खंड में विभाजित हुआ प्रथम खंड जो कपाल कहलाता है ब्रह्म कपाली, वहीं बद्रिकाश्रम में गिरा कंठ से लेकर नाभी तक का हिस्सा आकाश मार्ग से हरिद्वार में और चरण जिस जगह पर गयासुर गिरा वह स्थान उसके नाम पर गया पड़ा भगवान नारायण ने उसके पापों को दग्ध करने के लिए उसके मस्तक को अपने गदा के नोक से स्थिर करके उसकी नाभि को हवन कुंड बनाकर वहां हवन किया और उसके पाप नष्ट करके उसको मोक्ष दिया और उसको आशीर्वाद दिया क्योंकि तूने यह सारा कार्य अपनी मुक्ति या मोक्ष के लिए किया इसलिए मैं सभी देवी देवताओं नदियों तीर्थ सहित अपने तीनों स्थानों पर वास करूंगा और जो व्यक्ति यहां श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करेगा मैं उसके पितरों को मोक्ष दूंगा नारायणी शिला हरिद्वार के विषय में वर्णन है जो व्यक्ति यहां श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करता है उसके 100 पितृ कुल पिता बाबा एवं 100 मात्र कुल नाना नानी और स्वयं का मोक्ष हो जाता है इसमें कोई संशय नहीं।

 

Report By – Ramesh Khanna

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