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उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इस मुद्दे पर विभाग की निदेशक डॉ. सुनीता टम्टा ने खुलासा किया कि प्रदेश में अब तक केवल 47 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती हो सकी है, जबकि 53 प्रतिशत पद अभी भी खाली हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों पर खास फोकस
डॉ. टम्टा ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत इंटरव्यू आयोजित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, संविदा पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए एक नई प्रक्रिया शुरू की गई है। उन्होंने बताया, “प्रदेश स्तर पर संविदा पर नियुक्ति के लिए हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को इंटरव्यू रखे जा रहे हैं।”
भर्ती प्रक्रिया तेज करने की कवायद
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस कमी को दूर करने के लिए न केवल प्रदेश में नई भर्तियों पर ध्यान दिया जा रहा है, बल्कि संविदा के आधार पर विशेषज्ञों को तैनात करने के प्रयास भी तेज किए गए हैं। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है, पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना, जहां पर अभी भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सरकार का आगे का रोडमैप
प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने यह तय किया है कि सभी रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाएगा। इसके लिए विभिन्न योजनाओं और प्रोत्साहनों पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि विशेषज्ञ डॉक्टर पहाड़ी इलाकों में सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
स्वास्थ्य विभाग के इन प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर किया जाएगा और प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।
Reported By : Shiv Narayan