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दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से डॉ. राकेश बटव्याल की पुस्तक आइडिया ऑफ़ ऑर्डर : पर्सपेक्टिव्स फ्रॉम सेन्ट्रल एंड इस्टर्न यूरोप (1989-2022),पुस्तक पर बातचीत का एक आयोजन किया गया.
बातचीत में रूसी, फिनो उगारियन भाषा विभाग, कला संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय कीडॉ. मारगित कोवैश तथा डॉ. सुष्मिता दासगुप्ता अतिरिक्त मुख्य अर्थशास्त्री (से.नि.) इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार ने वीडियो के माध्यम से पुस्तक के विविध पक्षो और आयामों पर विस्तार से बात की.
उल्लेखनीय है कि. 1989 में मध्य और पूर्वी यूरोप के कई देश समाजवादी व्यवस्था से बाहर आ गए और नवउदारवादी आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था द्वारा परिभाषित एक नई दुनिया में कदम रखने लगे। अतीत से अलग होने का अनुभव अब नया बनने और अधिक सुरक्षित सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की इच्छा के साथ जुड़ गया था जिसने महत्वपूर्ण बौद्धिक और राजनीतिक कल्पनाओं को उत्साहित किया है।
इन इच्छाओं और बुद्धिजीवियों, नीति निर्माताओं और आम लोगों ने उन नीतियों, कार्यक्रमों और दृष्टिकोणों को लागू करने के तरीके को देखने के लिए पिछले कई वर्षों में राकेश बटब्याल ने खुद को व्यापक शोध में लगा लिया था। प्रतिष्ठित भारतीय विश्व मामलों की परिषद (ICWA) ने बटब्याल को फेलोशिप प्रदान की थी। पुस्तक में लेखक द्वारा इस बात की पड़ताल करने की कोशिश की गई है कि वैश्विक वित्तीय और यूरोपीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं का जश्न मनाने के समय में ‘राष्ट्रीय व्यवस्था’ कैसे उभरती है। क्षेत्र और दुनिया के समकालीन इतिहास में अंतर्दृष्टि रखने वाले एक प्रशिक्षित इतिहासकार द्वारा लिखित, गहन फील्डवर्क पर आधारित यह पुस्तक व्यवस्था के विचार को आकार देने वाले कुछ प्रमुख ढांचे प्रस्तुत करती है, जो मध्य और पूर्वी यूरोप में विभिन्न बौद्धिक और शैक्षणिक स्थानों के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक इतिहास से प्रभावित हैं।
Reported By: Shiv Narayan