हरिद्वार नगर निगम चुनावों से पहले भाजपा और कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। दोनों दलों में आंतरिक कलह और भितरघात की संभावनाएं बढ़ रही हैं। बगावत और बयानबाजी ने इस खींचतान को और उजागर कर दिया है, जिससे दोनों ही पार्टियों के चुनावी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।
जनता के बुनियादी मुद्दे और सरकार की खामोशी
हरिद्वार की जनता बढ़ते गृहकर, जल मूल्य, और यूजर टैक्स जैसी समस्याओं से त्रस्त है। भाजपा की प्रदेश सरकार होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों की खामोशी ने जनता को निराश किया है। पहले जहां गृहकर पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं था, वहीं पिछली बोर्ड मीटिंग में यूजर टैक्स लागू करने के फैसले ने जनता पर भारी बोझ डाला।
तत्कालीन शहरी विकास मंत्री और हरिद्वार के विधायक के दबाव में निगम बोर्ड ने यूजर टैक्स और सफाई व्यवस्था के निजीकरण को मंजूरी दी। इस फैसले को जनता ने “जजिया कर” की तरह मजबूरी में सहन किया।
कारीडोर पर चुनावी गणित
सप्तऋषि से कनखल तक के वार्डों में हरिद्वार कारीडोर चुनावी चर्चा का प्रमुख मुद्दा बन गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे पर सीधे जनता के रुख का सामना कर रही हैं।
यदि इन वार्डों में भाजपा को विजय मिलती है, तो इसे कारीडोर के समर्थन के रूप में देखा जाएगा। वहीं, कांग्रेस की जीत कारीडोर के खिलाफ जनभावना को दर्शाएगी। भाजपा के लिए यह मुद्दा इतना संवेदनशील है कि मुख्यमंत्री को इसे लेकर गोलमोल बयान देना पड़ा।
मुख्यमंत्री की विरोधाभासी घोषणाएं
मुख्यमंत्री ने हाल ही में हरिद्वार में एक सार्वजनिक मंच से कहा कि “कारीडोर बनेगा,” साथ ही “पॉड टैक्सी योजना” और “चंडी देवी उड़न खटोला” जैसे प्रोजेक्ट जल्द शुरू होंगे। लेकिन अगले ही दिन देहरादून में उन्होंने कारीडोर को लेकर बयान दिया कि यह केवल सौंदर्यीकरण का काम है।
यह विरोधाभासी बयान भाजपा के उम्मीदवारों को असमंजस में डाल रहे हैं। उन्हें जनता के सामने इस मुद्दे पर जवाब देना कठिन हो रहा है।
कांग्रेस की चुनौती और भाजपा की मुश्किलें
जहां कांग्रेस इस चुनाव में कारीडोर के मुद्दे को हथियार बनाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा को अपनी सरकार और घोषणाओं पर जनता का विश्वास जीतने की चुनौती है।
हरिद्वार नगर निगम चुनाव अब केवल राजनीतिक दलों की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह शहर के भविष्य और जनता के बुनियादी मुद्दों पर जनमत का संकेत बनेगा।
Reported By : Ramesh Khanna