हरिद्वार: खनन विवादों और बढ़ते विरोध के बीच उत्तराखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में खनिज क्षेत्र से रिकार्ड राजस्व प्राप्ति का दावा किया है। शासन के अनुसार, वर्ष 2023-24 में खनिज विभाग ने 645.42 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 173.17 करोड़ रुपये (लगभग 40% अधिक) है।
पिछले वर्षों की तुलना में सुधार
वर्ष 2022-23 में सरकार ने 875 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसके सापेक्ष केवल 472.25 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसके विपरीत, 2023-24 में भी 875 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, और विभाग ने 645.42 करोड़ रुपये अर्जित कर इसे महत्वपूर्ण रूप से पार किया।
सरकार का दावा: पारदर्शिता और सख्ती
सरकार ने दावा किया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के तहत खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता और सख्ती सुनिश्चित की गई है।
- ई-निविदा और ई-नीलामी: नई खनिज लॉट्स के चिन्हांकन और आवंटन में ई-निविदा प्रणाली का उपयोग किया गया।
- ई-रवन्ना पोर्टल का उन्नयन: मुख्यालय स्तर पर ई-रवन्ना पोर्टल की निगरानी और उन्नयन से राजस्व में वृद्धि हुई।
- अवैध खनन पर रोक: निदेशालय स्तर पर प्रवर्तन दल की सक्रियता से अवैध खनन, परिवहन, और भंडारण पर प्रभावी रोकथाम संभव हुई।
- सरल नीति: खनिज नियमावली, स्टोन क्रेशर नीति, और अवैध खनन निवारण नियमावली में सरलीकरण किया गया।
हरिद्वार में खनन विवादों का मुद्दा गर्म
हरिद्वार में खनन और ड्रेजिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक दिन पहले यह मामला संसद में भी उठाया गया। मातृसदन के संत दयानंद खनन के खिलाफ मुखर हैं और पिछले छह दिनों से अनशन पर बैठे हैं।
सरकार और विरोधियों के बीच तनाव
जहां सरकार अपनी खनिज नीतियों और पारदर्शिता को लेकर रिकार्ड राजस्व का श्रेय ले रही है, वहीं खनन के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर विरोध जारी है। हरिद्वार क्षेत्र में खनन के खिलाफ आवाजें और तेज हो रही हैं, और इस मुद्दे पर सरकार के फैसलों को चुनौती दी जा रही है।
Reported by-Ramesh Khanna, Haridwar