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मांगों और सम्मान की रक्षा को लेकर मंच पर गरजे बंगाली समाज के लोग।

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रूद्रपुर (Rudrapur) :  बंगाली समाज द्वारा आज गांधी पार्क मैदान में आयोजित विशाल जनसभा व रैली के कार्यक्रम में उमड़े जनसैलाब ने राजनैतिक दलों को अपनी ताकत का अहसास दिला दिया है।

हजारों की संख्या में मौजूद लोगों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने समाज की मांगों को उठाते हुए कहा कि यदि शासन द्वारा समाज की मांगों की अनदेखी की गई तब बंगाली समाज एक जुट होकर निर्णायक संघर्ष शुरू कर देगा। इससे पूर्व बंगाली समाज के वरिष्ठजनों उत्तम दत्ता, प्रेमानन्द महाजन, ममता हालदार, परिमल राय, केके दास, राजकुमार साहा, दिलीप अधिकारी, हिमांशु सरकार, त्रिनाथ विश्वास, सुदर्शन विश्वास, अनादि रंजन, जीवन राय आदि ने शंख की गूंज के बीच दीप प्रज्जवलित कर महासभा का शुभारम्भ किया। जिसके पश्चात बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

जन सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बंगाली समाज के लोगों का तराई के विकास में हमेशा योगदान रहा है वहीं देश की आजादी में भी इस समाज के लोगों ने बढ़चढ़ की भागीदारी की। जिसका गवाह इतिहास हैं। उन्होंने कहा कि करीब पांच दशक पूर्व पश्चिम बंगाल व पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों को तत्कालीन सरकार ने यहां जमीन देकर बसाया था। जिसके बाद से बंगाली समाज यहां के लोगों के साथ मिलजुल कर रहकर रह रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि बंगाली समाज के बच्चों को तहसील से प्राप्त होने वाले प्रमाण पत्रों में पूर्वी पाकिस्तान का उल्लेख किया जाता था। जिसके विरोध में आवाज उठाने पर सरकार द्वारा इसमें सुधार किया गया। लेकिन अभी भी समाज की वर्षों पुरानी कई मांगें लंबित बनी हुई हैं जिन्हें पूरा करने के लिए समाज के लोग निरंतर शासन प्रशासन से आग्रह करते रहे हैं परंतु इन मांगों की निरंतर उपेक्षा की जा रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

उन्होंने अपनी लंबित मांगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड में रहने वाले बंगाली समाज के नमोः शूद्र,पौंड, माझी सकहत अन्य उप जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाये, नवीन शिक्षा नियमावली के अनुसार बंगाली बाहुल्य क्षेत्र में प्राइमरी स्तर पर एक अतिरिक्त बांग्ला भाषा (विषय) लागू किया जाये, विद्यालयी शिक्षा के छात्र छात्राओं को सालों से रुका हुआ छात्रवृत्ति अविलम्ब प्रदान किया जाये तथा बंग भवन का निर्माण अति शीघ्र जिला मुख्यालय में किया जाये। वक्ताओं ने कहा कि बंगाली समाज के लोगों को बाहरी बताया जाना किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। समाज की कई पीढ़ियां उत्तराखण्ड में निवास करती आ रही हैं। उन्होंने कहा कि समाज अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए हर पल तैयार हैं।

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