हरिद्वार,
आज नमामि गंगे घाट पर आयोजित गंगा महोत्सव परिस्थितयों वश कोई खास सुर्खियां नहीं बटोर सका। अल्मोड़ा बस दुर्घटना और विपक्ष के विरोध के बाद आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया। हरिद्वार के अनेक बड़े संत, गंगासेवी व गंगा सभा से जुड़े लोग व हरिद्वार में गंगा से जुड़े उपक्रम चलाने वाले लोग भी कार्यक्रम में नहीं दिखे। मुख्यमंत्री भी प्रदेश से बाहर होने के कारण गंगा महोत्सव में शामिल नहीं हो सके। हालांकि कार्यक्रम कितना सफल रहा यह आनेवाले दिनों में पता चलेगा।
कार्यक्रम में शामिल केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि पूरी दुनिया के लिए गंगा सिर्फ नदी है लेकिन भारत के लिए ये पूजनीय है। हमारे जन्म पूजन से लेकर मृत्य तक सभी कार्य नदी से जुड़े है। इसलिए हमारी प्राथमिकता गंगा को साफ एवं स्वच्छ रखना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी आने वाले पीढ़ी के लिए स्वच्छ जल संचित करना चाहिए।
राजीव मित्तल ,महानिदेशक , नमामि गंगे ने कहा कि आज का उत्सव मां गंगा के संरक्षण को लेकर है। हमारे साथ पांच अन्य राज्यों में भी ये उत्सव मनाया जा रहा है। मित्तल ने कहा कि हमारा उद्देश्य नदियों को सिर्फ जल का स्रोत नहीं बल्कि जीवन का आधार बनाने का है । ये मात्र एक उत्सव नहीं अभियान है जिसके माध्यम से हम नदियों के महत्व को समझाने का प्रयास करते हैं।
गंगा उत्सव के दौरान अपने सम्बोधन में रेखा आर्या, महिला एवं बाल विकास मंत्री, उत्तराखंड ने कहा कि हरिद्वार वो स्थान है जो उत्तराखंड का देव भूमि के रूप में परिचय करता है।आज ही का दिन वो ऐतिहासिक दिन है जब मां गंगा को राष्ट्रीय नदी के रूप में पहचाना गया।
हरिद्वार में गंगा किनारे पहली बार गंगा महोत्सव का आयोजन किया गया है। इससे पहले यह आयोजन दिल्ली में आयोजित किया जाता था। इसका मकसद गंगा का संरक्षण, संवर्धन करना तथा लोगों में जन जागरूकता पैदा करना है। ताकि लोग गंगा में गंदगी ना फैलाएं । सरकार भी गंगा को स्वच्छ रखने के लिए जहां लगभग 30000 करोड़ से अधिक का बजट खर्च कर रही है। इसके अंतर्गत गंगा तटीय नगरों में एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं, जगह-जगह शवदाह ग्रह भी बनाए गए हैं ताकि लोग गंगा में शवों को ना जलाएं । साथ ही कई हजार किलोमीटर की सीवर लाइन भी बिछाई गई है। ताकि घरों का गंदा जलमल सीधा गंगा में ना गिरे जो पाइप लाइनों के माध्यम से एसटीपी प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है और वहां प्रदूषित जल का शोध करके गंगा में छोड़ा जा रहा है।
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Reported by- Ramesh Khanna, Haridwar