देहरादून,
हयात सेंट्रिक में आयोजित दूसरे क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) ने अपराध, साहित्य और सिनेमा के संगम पर संवाद का मंच प्रदान किया। 29 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलने वाले इस फेस्टिवल का उद्देश्य अपराध और न्याय के परस्पर संबंधों को गहराई से समझना और समाज में जागरूकता बढ़ाना है।
उद्घाटन समारोह में द हंस फाउंडेशन के संस्थापक माता श्री मंगला जी और भोले जी महाराज के साथ प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रकाश झा उपस्थित रहे। प्रकाश झा ने कहा, “अपराध साहित्य और सिनेमा समाज को अपराध और न्याय के रिश्ते को समझने का सशक्त माध्यम है।” आयोजन की प्रेरणा और अध्यक्ष उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने इसे सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि समाज को अधिक जागरूक बनाने का अभियान बताया।
तीन दिवसीय महोत्सव में प्रमुख भागीदारों में द हंस फाउंडेशन, उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद (यूएफडीसी), और पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) शामिल रहे।
पहले दिन प्रकाश झा ने सिनेमा के सामाजिक प्रभाव पर चर्चा की। आने वाले सत्रों में कविता कौशिक, अविनाश सिंह तोमर और अनुभव सिन्हा जैसे दिग्गज भी हिस्सा लेंगे। साथ ही, हिंदी अपराध साहित्य के पथप्रदर्शक सुरेंद्र मोहन पाठक को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
फेस्टिवल में साइबर अपराध, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराध के मनोविज्ञान जैसे विषयों पर चर्चाओं का आयोजन किया गया। इसके सत्रों का संचालन करनाल सिंह, नीरज कुमार, ओपी सिंह और मेजर जनरल सभरवाल जैसे विशेषज्ञों ने किया।
आयोजन के निदेशक आलोक लाल, जो पूर्व डीजीपी, लेखक और कलाकार भी हैं, ने इसे अपराध और रचनात्मकता का संगम बताते हुए संवाद और सामाजिक बदलाव के प्रति इसकी भूमिका को रेखांकित किया।
यह महोत्सव न केवल साहित्य और सिनेमा के लिए एक मंच है, बल्कि सामाजिक बदलाव का उत्प्रेरक बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी है।
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Reported by- Shiv Narayan