उत्तराखंड एसटीएफ के एसपी अंकुश मिश्रा ने जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है, जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है। कोई भी सीबीआई अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रांच, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस नहीं देती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर आपको डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में STF/साइबर थानों में अपनी शिकायत दर्ज कराएं। उन्होंने कहा कि इस विषय में सभी लोग ज्यादा से ज्यादा जागरुक हों। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंजान लोगों के प्रलोभन में न आएं।
किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन और जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें। आपको बता दें कि उत्तराखण्ड की साइबर क्राईम पुलिस टीम ने करोडों की साइबर धोखाधडी और डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भण्डाफोड़ करते हुए गिरोह के मुख्य अभियुक्त को जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया है। देहरादून के निरंजनपुर निवासी एक पीडित के साथ सवा दो करोड से अधिक की ठगी के मामले में इस गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस गिरोह ने खुद को मुम्बई साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बनकर व्हाट्सएप पर वॉइस/वीडियो कॉल व मैसेज के माध्यम से पीडित को 9 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट रख कर 2 करोड 27 लाख 23 हजार ठगे थे।
अंकुश मिश्रा, एसपी एसटीएफ
Reported By: Arun Sharma