क्राइम पेट्रोल: दीपम सेठ, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में जघन्य अपराधों में लम्बे समय से वांछित इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, नवनीत सिंह भुल्लर को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। उक्त निर्देश के क्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा पुलिस उपाधीक्षक, एसटीएफ आर0बी0 चमोला के निकट पर्यवेक्षण में एक टीम का गठन कर उपरोक्त लम्बे समय से फरार अपराधी की गिरफ्तारी हेतु उचित दिशा-निर्देश दिये गये।
उत्तराखंड में संगठित अपराध और कुख्यात अपराधियों की गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2005 में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया था। गठन के समय एसटीएफ को दो प्रमुख टास्क दिए गए थे:
▪️ अंग्रेज सिंह, जो पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था।
▪️ सुरेश शर्मा, जिसने बद्रीनाथ में सरेआम डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की हत्या कर दी थी।
उत्तराखंड पुलिस ने वर्ष 2007 में अंग्रेज सिंह को नागपुर में मुठभेड़ में मार गिराया था। हालांकि, सुरेश शर्मा लगातार फरार रहा और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास उत्तराखंड एसटीएफ के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों के विशेष पुलिस बलों द्वारा किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी।
पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय नीलेश आनंद भरणे
23 जनवरी 2025 को मिली बड़ी सफलता
पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था, पुलिस मुख्यालय नीलेश आनंद भरणे द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि एसटीएफ की टीम ने लंबे समय से फरार सुरेश शर्मा की पहचान स्थापित करने के लिए पूर्व में प्राप्त तकनीकी और भौतिक सूचनाओं का गहन विश्लेषण किया। प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निरीक्षक अबूल कलाम के नेतृत्व में गठित टीम, जिसमें उप निरीक्षक विघादत्त जोशी, उप निरीक्षक नवनीत भंडारी, हेड कांस्टेबल संजय कुमार, कांस्टेबल मोहन असवाल और कांस्टेबल जितेंद्र शामिल थे, ने अभियुक्त सुरेश शर्मा को जमशेदपुर, झारखंड से गिरफ्तार किया।
अभियुक्त सुरेश शर्मा पुत्र दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश का वर्ष 1988 से क्वालिटी नाम से तीर्थनगरी बद्रीनाथ में एक रेस्टोरेन्ट था । वर्ष 1999 में तत्कालीन डीजीसी, क्रिमनल बालकृष्ण भट्ट, जो जनपद चमोली में तैनात थे जिनका सुरेश शर्मा से रेस्टोरेन्ट की भूमि को लेकर विवाद था जो बढ जाने के कारण अभियुक्त ने दिनांक 28.04.1999 को बालकृण भट्ट की दिनदहाडे सरेआम चाकु से गोदकर हत्या कर दी, इस घटना से तीर्थ नगरी बद्रीनाथ दहल उठी अपराधी सुरेश शर्मा घटना में मौके पर गिरफ्तार हुआ परन्तु कुछ समय पश्चात अभियुक्त को जमानत मिल गई, परन्तु जमानत के कुछ दिनो पश्चात ही माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उक्त अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी गई। जिसके उपरान्त गिरफ्तारी से बचने हेतु अभियुक्त सुरेश शर्मा फरार हो गया ।
अभियुक्त सुरेश शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उपरोक्त अभियोग में मेरी 40 दिन के बाद जमानत हो गई थी और मैं छूटने के बाद अपने रिश्तेदारों के यहां मुंबई चला गया। कुछ दिन वहां रहने के पश्चात मुझे पता चला कि मेरी जमानत खारिज हो गई और मेरे घर वालों ने मुझे वापस बुलाया किंतु मैं घर वापस न जाकर कोलकाता चला गया। वहां पर मैंने पहले सड़क किनारे ठेली लगाकर खाना बनाने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद मैने कपड़े का व्यापार किया तथा लॉकडाउन के बाद से मैं एक मेटल ट्रेडिंग कंपनी का व्यवसाय कर रहा था जो की स्क्रैप का काम करती है। कम्पनी के काम से मै भारतवर्ष के अलग-अलग शहरो में भ्रमण करता रहता हॅू तथा इसी कार्य से जमशेदपुर आया था। जहॅा मैने पहचान छिपाने के लिये मनीश शर्मा नाम रखा तथा उसके पश्चात मनोज जोशी के नाम से अपने दस्तावेज बना लिये। वर्तमान में मेरी एक पत्नी जिसका नाम रोमा जोशी जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है तथा दो पुत्र हैं।