उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधान सभा (Vidhan Sabha) सचिवालय में हुई अवैध नियक्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य सरकार व विधान सभा सचिवालय को और तीन सप्ताह का अतरिक्त समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है।
आज हुई सुनवाई पर याचिकर्ता की तरफ से कहा गया कि 2000 से अब तक विधान सभा सचिवालय में सभी अवैध तरीके से नियुक्तियां की गई है,और हमारे पास जो भी साक्ष्य थे कोर्ट मे प्रस्तुत कर दिए गए है,लेकिन अभी तक राज्य सरकार सहित सचिवालय ने इस संबंध में जवाब नही दिया।
जिसपर कोर्ट ने दोनों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। गौर तलब है कि देहरादून निवासी अभिनव थापर ने इस मामले में जनहीत याचिका दायर की हैं। उनके द्वारा जनहित याचिका में विधानसभा सचिवालय में हुई बैकडोर भर्ती, भ्रष्टाचार व अनियमितताओ को चुनोती दी गयी है। उनके द्वारा जनहित याचिका में कहा है कि विधानसभा ने एक जाँच समीति बनाकर 2016 के बाद की विधान सभा सचिवालय में हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया है। जबकि उससे पहले की नियुक्तियों को नही। सचिवालय में यह घोटाला 2000 में राज्य बनने से अब तक होता रहा है। जिसपर सरकार ने अनदेखी कर रखी है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की गई है कि विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों के खिलाफ उच्च न्यायलय के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराई जाय, उनसे सरकारी धन की वसूली कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाय। सरकार ने 6 फरवरी 2003 का शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान का अनुच्छेद 14, 16 व 187 का उल्लंघन है। जिसमें हर नागरिक को सरकारी नौकरियों में समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती होने का प्रावधान है और उत्तर प्रदेश विधानसभा (Vidhan Sabha) की 1974 की सेवा नियमावली तथा उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया है।