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प्रयागराज: सिख संतों ने धूमधाम से किया महाकुंभ में प्रवेश

Mahakumbh 2025

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प्रयागराज का महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्भुत प्रतीक है, जो हर बार लाखों श्रद्धालुओं और संतों का आह्वान करता है। महाकुंभ भारतीय सनातन धर्म का सबसे बड़ा और पवित्रतम आयोजन है। यहां विभिन्न धर्मों, पंथों और समुदायों के लोग एकत्रित होते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। इसी क्रम में, इस वर्ष के महाकुंभ में सिख संतों का भव्य स्वागत किया गया, जो इस आयोजन के एक महत्वपूर्ण और सम्मानित भागीदार बने।

महाकुंभ में सिख संतों की उपस्थिति भारतीय समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक है। जब सिख संत प्रयागराज पहुंचे, तो उन्हें श्रद्धालुओं और आयोजनकर्ताओं द्वारा अत्यंत सम्मान और श्रद्धा के साथ स्वागत किया गया। संतों का जत्था जैसे ही कुंभ के पवित्र स्थल पर पहुंचा, वहां उनका स्वागत फूलों की वर्षा, मंत्रोच्चारण, और ध्वजारोहण के साथ किया गया। यह दृश्य अत्यंत भव्य और श्रद्धाभाव से ओतप्रोत था। संतों ने पवित्र संगम में स्नान किया और धार्मिक अनुष्ठान किए, जो इस आयोजन की आध्यात्मिकता को और भी प्रगाढ़ बनाता है।

 महाकुंभ के आयोजन में यह दिखता है कि भारत में विविधता के बावजूद, सभी धर्मों और पंथों के अनुयायी एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं — ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समाज के कल्याण की भावना। सिख धर्म का सिद्धांत ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ इस भावना को प्रकट करता है, और महाकुंभ का आयोजन इसी एकता की मिसाल प्रस्तुत करता है।

महाकुंभ मेला न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र अवसर है, बल्कि यह अन्य धर्मों, विशेषकर सिख धर्म, के अनुयायियों के लिए भी श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बनता है। इस प्रकार, सिख संतों की उपस्थिति ने कुंभ मेले की पारंपरिक भावना को और भी मजबूती दी, और इसके माध्यम से भारतीय समाज के धार्मिक समन्वय को बढ़ावा मिला। यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति में विभिन्न धर्मों और पंथों का आदर किया जाता है और यह धर्मनिरपेक्षता की मजबूत नींव पर आधारित है।

सिख संतों के कुंभ में शामिल होने से न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा मिला, बल्कि यह संदेश भी दिया गया कि भारत में हर धर्म को समान सम्मान और आदर दिया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु और भक्त संतों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकत्रित हुए। इसके साथ ही, इस आयोजन ने सामाजिक समरसता और भाईचारे का संदेश भी फैलाया। महाकुंभ मेला इस बात का प्रतीक है कि चाहे कोई भी धर्म हो, सभी का उद्देश्य एक ही है — शांति, सद्भाव, और मानवता का प्रचार।

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