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विश्व जल दिवस पर यू-सैक में ग्लेशियर संरक्षण पर कार्यशाला का आयोजन

World Water Day

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विश्व जल दिवस के अवसर पर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) मे ग्लेशियर संरक्षण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया l कार्यशाला मे राज्य के विभिन्न रेखीय विभागों के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं विश्वविध्यालयों/ महाविध्यालयों के शोधार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया l कार्यशाला मे वैज्ञानिक एवं पारंपरिक तकनीकों के उपयोग से जल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विमर्श किया गया ।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविध्यालय के- क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र के- प्रोफ़ेसोर श्री विनय शंकर प्रसाद सिन्हा ने कार्यशाला का शुभारंभ किया एवं प्रस्तुतीकरण दिया डॉ सिंह ने कहा कि जल संरक्षण एवं संवर्धन हमारे भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और भूमि सतह में परिवर्तनों के जलग्रहण जल विज्ञान पर पड़ने वाले विघटनकारी प्रभावों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी । इसके अलावा उन्होंने भारत के हिमालयी क्षेत्रों में जल संकट और स्प्रिंगशेड प्रबंधन के बारे में अवगत कराया ।

उन्होंने उत्तराखंड में जल सुरक्षा में सुधार के लिए स्रोत और जलग्रहण पुनर्जीवन के माध्यम से जल संसाधन प्रबंधन की अवधारणा को भी समझाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पर्यावरणीय स्थिरता के दृष्टिकोण और बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली (FEWS) की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। अंत में उन्होंने हिमालयी ग्लेशियरों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए दीर्घकालिक और व्यापक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।


इससे पूर्व कार्यशाला कि संयोजक एवं यू-सैक की वैज्ञानिक डॉ आशा थपलियाल ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रतिभागियों को अवगत कराया कि यू-सैक मे संस्थापित वाटर रिसोर्स मनेजमेंट डिवीजन मे राज्य सेक्टर परियोजन के अंतर्गत स्नो कवर मैपिंग परियोजना के अंतर्गत पिंडरी रीवर बेसिन मे वर्ष 2023-24 के उपग्रहीय आँकड़ों कि सहायता से हिमाछादित क्षेत्रों का मानचित्रिकरण किया गया है जिसमे हिमाछादित क्षेत्रों के स्लोप,ऐस्पेक्ट,व ऐलिवेशन मैप भी सृजित किए गए हैं । जिसकी सहायता से स्नो कवर क्षेत्रफल के परिवर्तनों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है । वाटर क्वालिटी परियोजना के अंतर्गत- मानसून पूर्व एवं पश्चात का वाटर क्वालिटी व अन्य प्राकृतिक श्रोतो का फील्ड डेटा एकत्र कर जी.आई.एस. डेटाबेस सृजित किया जा रहा है ।

वेटलैंड मैपिंग परियोजना के अंतर्गत- जलग्राही क्षेत्रों का मैपिंग किया जा रहा है । जिसमे जाग्रही क्षेत्रों हो रहे परिवर्तनों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है । इसके तहत वर्ष 2023-24 का अल्मोड़ा जनपद मे स्थित स्प्रिंग, जलधाराओं व जलस्रोतों का फील्ड सर्वेक्षण कर लिस-4 डेटा कि सहायता से जियोस्पाशियल डेटाबेस सृजित किया गया है । वर्तमान मे, यमुना रीवर बेसिन के अंतर्गत हिमाछादित क्षेत्रों का मानचित्रिकरण, वाटर क्वालिटी, एवं केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत संचालित परियोजना- ग्राम परियोजना, मे किए जा रहे कार्यों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया l

 

Reported By: Arun Sharma

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