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अधिकारियों के गले की फांस बने स्टोन क्रशर्स,अब फड़फड़ा रहे अधिकारी

Stone crushers

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विकासनगर – जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि जनपद देहरादून के विकासनगर क्षेत्रांतर्गत अति संवेदनशील क्षेत्र “आसन कंजर्वेशन रिजर्व” में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर नियम विरुद्ध लाइसेंस (स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग संयंत्र, खनन पट्टे) जारी करने/ खनन क्रियाएं संचालित होने के मामले में मोर्चा सुप्रीम कोर्ट/ उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना कराने को लेकर लगातार सरकार/अधिकारियों पर हमलावर है, लेकिन हाल ही में मोर्चा द्वारा इन भ्रष्ट अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना मामले में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में घसीटने की चेतावनी देने के बाद अब अधिकारी बगलें झांकने लगे हैं यानी उच्च अधिकारियों से मार्गदर्शन ले रहे हैं | उक्त मामले में हाल ही में निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म इस मामले में शासन से मार्गदर्शन मांग रहे हैं, जबकि निदेशक, भूतत्व खनिकर्म लगभग एक वर्ष से मा. उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अनुपालना नहीं करा पाये |

आसन कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की खनन क्रियाएं संचालित होने के मामले में तत्काल उक्त संवेदनशील क्षेत्र में 10 किमी. की परिधि के भीतर समस्त खनन क्रियाएं बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन उक्त आदेश की अनुपालना कराने में राज भवन/ शासन/ सरकार सब फेल हो चुके हैं यानी सब मिलीभगत का खेल चल रहा है | अधिकारी आज स्वयं माफिया बन चुके हैं जिनका इलाज बहुत जरूरी हो गया है | उक्त आदेश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार की खनन क्रियाएं यथा स्टोन क्रशर, खनन पट्टे एवं स्क्रीनिंग प्लांट के संचालन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे |

आलम यह है कि सर्वोच्च न्यायालय/ उच्च न्यायालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार एवं नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं,लेकिन अधिकारी जानबूझकर बेखबर बने हुए थे | नेगी ने कहा कि इस अति संवेदनशील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर, स्क्रीन प्लांट व खनन पट्टे नियमों की धज्जियां उड़ाकर आवंटित किए गए, जिनको मोर्चा खंडहर बनाकर ही दम लगा | नेगी ने कहा कि पूर्व में उच्च न्यायालय के निर्देश द्वारा भी सरकार को खनन क्रियाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे |उस वक्त सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया था;तत्पश्चात सरकार ने फिर उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की, उसको भी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया यानी वर्ष 2015 का आदेश आज तक भी प्रभावी है | मोर्चा प्रदेश में असंवैधानिक कार्य नहीं होने देगा तथा अधिकारियों को सबक सिखाकर ही दम लगा |

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी

 

Reported By: Arun Sharma

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