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विकासनगर -जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि कल सरकार द्वारा कैबिनेट में पूर्व विधायकों की पेंशन 40,000 से बढाकर 60,000 रुपए करने का फैसला लिया है, जोकि लोकतंत्र के लिए काला दिवस है तथा सरकारी खजाने पर डाका है | नेगी ने कहा कि प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जो प्रदेश कर्ज के सहारे चल रहा हो तथा उसके ऊपर लगभग 90 हजार करोड़ की उधारी हो एवं प्रतिवर्ष लगभग 6600 करोड रुपए ब्याज के चुका रहा हो, ऐसे प्रदेश में एक विधायक को लगभग 3.25 लाख रुपए वेतन -भत्ते एवं ₹60,000 पेंशन प्लस स्लैब + 20,000 रुपए ईंधन भत्ता दिया जा रहा हो, इन हालातों में प्रदेश दिवालिया नहीं होगा तो और क्या होगा!
रघुनाथ नेगी ने कहा कि इन महा गरीब विधायकों को प्रतिमाह वेतन- भत्तों के नाम पर डेढ़ लाख रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, ₹30,000 वेतन,₹60,000 जन सेवा भता, ₹27,000 ईंधन तथा ₹6,000 टेलीफोन/ मोबाइल खर्च इत्यादि हेतु दिया जा रहा है | पूर्व विधायक होने की दिशा में ₹60000 (अब) पेंशन और वो भी स्लैब के साथ दी जाएगी | देश के इतिहास में यह अनूठा उदाहरण ही होगा कि वेतन ₹30,000 और पेंशन 60,000 (अब) ! ये जनता के सेवक हैं न कि सरकारी सेवक ! नेगी ने कहा कि एक और जहां कर्मचारी/अधिकारी दशकों तक सरकारी सेवा करते हैं, लेकिन इनको पेंशन नहीं, दूसरी तरफ ये विधायक शपथ लेते ही ताउम्र पेंशन के हकदार हो जाते हैं | नेगी ने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि सरकार विकलांग जनों, विधवाओं एवं वृद्ध जनों की पेंशन वृद्धि की बात कभी नहीं करती, लेकिन जब कोई इनसे पेंशन वृद्धि की बात करते है तो इन विधायकों/ सरकार के मुंह पर ताले लग जाते हैं | मोर्चा ने शीघ्र ही इस लूट को बंद कराने को लेकर मा. उच्च न्यायालय की शरण लेगा |
Reported By: Arun Sharma