उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के संयुक्त संगठन ऊर्जा (उत्तराखंड राज्य जॉइंट अलायंस) ने नगर निकाय चुनावों में आरक्षित सीटों पर मूल निवासियों को ही आरक्षण का लाभ दिए जाने की मांग को लेकर राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील कुमार से मुलाकात की।
ऊर्जा के संयोजक प्रांजल नौडियाल ने आयोग को अवगत कराया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार आरक्षण का लाभ केवल राज्य के मूल निवासियों को ही दिया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में गैर-मूल निवासियों को आरक्षण का लाभ दिया गया, तो संगठन इसका विरोध करेगा और इस मामले में सक्षम न्यायालय का रुख करेगा।
आयुक्त ने दिए विचार का आश्वासन
राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील कुमार ने आश्वासन दिया कि इस मामले पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शासन को इस मुद्दे से अवगत कराया जाएगा और विभागीय अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
क्षेत्रीय दलों का पक्ष
- सुलोचना इष्टवाल (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी):
उन्होंने सुझाव दिया कि आरक्षित वर्ग का प्रमाण पत्र केवल उत्तराखंड के मूल निवासियों को ही जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को मुख्य सचिव के समक्ष उठाया जाएगा। - शिव प्रसाद सेमवाल (राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी):
सेमवाल ने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले पर गंभीरता दिखानी चाहिए और आरक्षित सीटों पर केवल उन उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए, जो उत्तराखंड के 1950 एक्ट के तहत आरक्षित सूची में आते हैं। - लक्ष्मी प्रसाद राठौड़ी (उत्तराखंड सामान्य पार्टी):
उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर तुरंत कदम नहीं उठाया, तो ऊर्जा गठबंधन न्यायालय में याचिका दायर करेगा।
गठबंधन का कड़ा रुख
ऊर्जा गठबंधन ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले को न्यायालय तक ले जाएंगे, यदि सरकार और निर्वाचन आयोग ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। यह विवाद चुनावी प्रक्रिया के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है।
Reported By : Arun Sharma