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विकासनगर।
आसन कंजर्वेशन रिजर्व की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद, खनन गतिविधियां बेखौफ जारी हैं। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार और अधिकारियों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना का गंभीर आरोप लगाते हुए इसे देश के इतिहास में अभूतपूर्व करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी:
नेगी ने कहा कि 14 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आसन कंजर्वेशन रिजर्व के 10 किमी के दायरे में खनन गतिविधियों, स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद, संबंधित अधिकारियों ने इन आदेशों का पालन करने के बजाय संवेदनशील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर और खनन पट्टों को मंजूरी देकर पर्यावरणीय नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं।
कागजी निर्देश और निष्क्रियता:
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन के लिए प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) ने 22 जून 2024 को मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ चकराता को कार्रवाई के निर्देश दिए। लेकिन, नेगी के अनुसार, ये आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गए।
उच्च न्यायालय और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड भी निष्प्रभावी:
नेगी ने बताया कि इससे पहले 2 जुलाई 2015 को उच्च न्यायालय ने भी खनन पर रोक के आदेश दिए थे। सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका और सुप्रीम कोर्ट की एसएलपी खारिज होने के बावजूद, ये आदेश आज तक प्रभावी नहीं हो पाए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड इस गंभीर मुद्दे पर नाकाम साबित हुए हैं।
सरकार की उदासीनता पर तंज:
नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि शायद सरकार और उसके अधिकारी इंटरनेशनल कोर्ट के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की कि मोर्चा जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना और अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेगा।
पत्रकार वार्ता में उपस्थित:
पत्रकार वार्ता के दौरान विजय राम शर्मा और सुशील भारद्वाज भी मौजूद रहे।
नेगी का दावा:
“आसन कंजर्वेशन रिजर्व में खनन के काले कारोबार ने न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी चुनौती दी है। सरकार की निष्क्रियता से यह स्पष्ट है कि जनता और पर्यावरण से अधिक लाभ कमाने वालों के हितों को प्राथमिकता दी जा रही है।”
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–Crime Patrol