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ब्यूरो : देहरादून स्थित पर्यावरणीय कार्रवाई और जनहित में सक्रिय संगठन सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन द्वारा आज जारी एक तुलनात्मक विश्लेषण में यह स्पष्ट हुआ है कि चार धाम यात्रा 2025 के पहले सप्ताह में तीर्थयात्रियों की संख्या में 2024 की तुलना में 26 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
यह गिरावट एक लाख से अधिक तीर्थयात्रियों की कमी को दर्शाती है और इस वर्ष की यात्रा की शुरुआत को अपेक्षाकृत धीमी दर्शाती है।
30 अप्रैल से 6 मई 2025 के बीच कुल 2,93,386 श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन किए। वहीं 2024 में, 10 मई से 16 मई के सात दिन के पहले सप्ताह में 3,98,010 तीर्थयात्री चार धाम यात्रा में शामिल हुए थे।
दोनों वर्षों की पहली सप्ताह की तुलना करने पर 1,04,624 तीर्थयात्रियों की कमी इस वर्ष दर्ज की गई है।
इस संदर्भ में टिप्पणी करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि इस वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या में आई गिरावट का एक बड़ा कारण मंदिरों का चरणबद्ध रूप से खुलना है। 2024 में केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सभी एक ही दिन — 10 मई को खोले गए थे, जिससे यात्रा को एक एकीकृत और सशक्त शुरुआत मिली थी। इसके विपरीत, इस वर्ष केदारनाथ 2 मई को और बदरीनाथ 4 मई को खोला गया, जिससे पहले हफ्ते यात्रा की रफ्तार धीमी रही।
एसडीसी फाउंडेशन का मानना है कि यात्रा आने वाले दिनों में रफ्तार पकड़ेगी ।
अनूप नौटियाल ने कहा कि पिछले वर्ष के रुझानों के आधार पर यह अनुमान है कि मई के दूसरे पखवाड़े में, जब छुट्टियां शुरू होंगी और अधिक तीर्थयात्री पहुंचेंगे, तब यात्रा अपने चरम पर पहुंचेगी।
यह विश्लेषण एसडीसी फाउंडेशन की उस निरंतर पहल का हिस्सा है जिसमें संस्था निरंतर उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन को डेटा-आधारित, वहन क्षमता के अनुकूल और पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण से संचालन करने की बात कर रहा है।
ये निष्कर्ष संस्था की 2024 में तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2024: पाथवेज़ टू पिलग्रिमेज – डेटा इनसाइट्स, चुनौतियाँ और अवसर पर भी आधारित हैं, जिसे तत्कालीन मुख्य सचिव को औपचारिक रूप से सौंपा गया था।
अनूप नौटियाल ने यह भी कहा कि “हमारी 2024 की रिपोर्ट में हमने स्पष्ट रूप से कहा था कि कैरिंग कैपेसिटी, भीड़ नियंत्रण, पर्यावरण सुरक्षा और रीयल टाइम सार्वजनिक संवाद जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। इस वर्ष जब यात्रा एक बार फिर बड़े पैमाने पर हो रही है, तो ये सिफारिशें और भी महत्वपूर्ण हो गई हैं।”
एसडीसी फाउंडेशन ने दोहराया कि भले ही सरकार अधिक तीर्थयात्री संख्या को एक उपलब्धि के रूप में देखती है पर ज़ोर इस बात पर होना चाहिए कि यात्रा का संचालन बेहतर प्रबंधन, सुरक्षा, स्थिरता और जिम्मेदारी के साथ हो।
अंत में अनूप नौटियाल ने कहा, “हम सरकार और सभी हितधारकों से अपील करते हैं कि वे इस तीर्थयात्रा को केवल एक पर्यटन आयोजन न समझें, बल्कि इसे एक आध्यात्मिक रूप से पवित्र और पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील प्रयास के रूप में देखें, जिसमें संतुलन, योजना और दूरदर्शिता की आवश्यकता है।