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Rajasthan election 2023 : राजस्थान का 36 घंटे में तय होगा भविष्य

Rajasthan election 2023

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Rajasthan election 2023 :  शनिवार 25 नवंबर को राजस्थान में वोट डाले जाएंगे। मतदान शुरू होने में केवल 24 घंटे का समय शेष बचा है, इस बार राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला कुछ ही देर हो जाएगा। राजस्थान चुनाव में अशोक गहलोत सरकार के विकास और भारतीय जनता पार्टी के बदलाव के बीच कड़ी टक्कर है। मामला बिल्कुल भी एक तरफ नहीं है और थोड़े-बहुत अंतर से यह किसी की भी ओर झुक सकता है। चुनाव के अंतिम क्षणों में नेता लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर बाजी अपनी ओर पलटने की कोशिश कर रहे हैं।

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राजस्थान के बिल्कुल दूर इलाके के किसी भी गांव में जाने पर राज्य सरकार के विकास के काम दिखाई पड़ते हैं। बॉर्डर एरिया रामगढ़ में हार्डवेयर की दुकान चला रहे टीकाराम बताते हैं कि उनके यहां 12वीं तक के ही स्कूल थे। डिग्री कॉलेज दूर होने के कारण लड़कियां इससे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती थीं। लेकिन अब उनके यहां डिग्री कॉलेज और आईटीआई खुल गया है। अब लड़कियां ऊंची पढ़ाई कर रही हैं और आईटीआई पूरा करने के कारण लड़कों को नौकरी भी मिल रही है। यह सब केवल पिछले पांच सालों के अंदर हुआ है। उन्हें लगता है कि कोई भी राज्य हो इसी तरह की सरकार सत्ता में आनी चाहिए, जो लोगों के लिए काम करे और उन्हें लाभ पहुंचाये। रामगढ़ जैसी विकास की कहानी राजस्थान के हर क्षेत्र में सुनी जा सकती है।

कल्याणकारी योजनाओं का असर

अशोक गहलोत सरकार ने 25 लाख रुपये तक के इलाज की निशुल्क सुविधा देने की घोषणा कर राज्य में बड़ा दांव खेला था। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा के बाद से ही इसकी सफलता पर सवाल उठाए जा रहे थे। कहा जा रहा था कि यदि जनता तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंचा और यह केवल घोषणा ही बनकर रह गई, तो यही योजनाएं अशोक गहलोत सरकार की अलोकप्रियता और विफलता का सबसे बड़ा कारण बनेंगी। लेकिन संभवतः राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत ने उसी समय यह तय कर लिया था कि उन्हें अगला चुनाव विकास और कामकाज पर लड़ना है। शायद इसीलिए योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए पूरा दमखम लगा दिया गया और उसी का परिणाम आज कांग्रेस और अशोक गहलोत को मिलता दिख रहा है।

गहलोत सरकार की महंगाई राहत योजना, आर्थिक सहायता की घोषणाओं, विभिन्न वर्गों के छात्रों के लिए जिले-जिले में हॉस्टल और महिलाओं के लिए स्मार्टफोन योजना बेहद कारगर साबित हुई है। जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ मिलने से अशोक गहलोत सरकार गरीब और कमजोर वर्गों के बीच काफी लोकप्रिय हुई है। इन योजनाओं ने कांग्रेस की चुनावी राजनीति तय करने में अहम भूमिका निभाई है। यदि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार की वापसी होती है, तो उसका श्रेय इन्हीं योजनाओं को दिया जायेगा।

बदलाव, सुरक्षा पर भाजपा का दांव

सरकार के कामकाज से संतुष्ट स्थानीय लोग कई जगहों पर विधायकों से नाराज भी दिखाई पड़ रहे हैं। विधायकों की कथित मनमानी और भ्रष्टाचार से छुटकारा पाने के लिए लोग बदलाव की बात भी कर रहे हैं। राजस्थान में महिलाओं के साथ हुईं कई बड़ी आपराधिक घटनाओं ने अशोक गहलोत सरकार की छवि खराब करने का काम किया है। भाजपा ने इसे यहां बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है। उनके कार्यकर्ता जगह-जगह पर यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि सरकार की वापसी होती है, तो इससे राज्य में अपराध बढ़ जाएगा। भाजपा कार्यकर्ता राजस्थान में भी जोर-जोर से योगी आदित्यनाथ के ‘बुलडोजर मॉडल’ का गुणगान कर रहे हैं।

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