Home » एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की नवंबर और दिसंबर 2024 की “उदय रिपोर्ट”, दो महीनों में पांच प्रमुख चुनौतियां

एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की नवंबर और दिसंबर 2024 की “उदय रिपोर्ट”, दो महीनों में पांच प्रमुख चुनौतियां

Uttarakhand News

Loading

नवंबर और दिसंबर 2024 में उत्तराखंड में कई गंभीर घटनाएं घटित हुईं, जिनमें सड़क हादसे, फॉरेस्ट फायर, खड़िया खनन, भूस्खलन और ग्लेशियल लेक के खतरे शामिल हैं। इन को लेकर देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी मासिक “उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय)” रिपोर्ट जारी की है।

सड़क हादसे, फॉरेस्ट फायर, खड़िया खनन, भूस्खलन और ग्लेशियल लेक बनीं इन दो महीनों में पांच प्रमुख चुनौतियां

सड़क हादसों में बढ़ोतरी

नवंबर और दिसंबर में कई बड़ी सड़क दुर्घटनाएं हुईं। 4 नवंबर को अल्मोड़ा जिले के मरचुला में एक बस दुर्घटना में 36 लोग मारे गए और 27 घायल हुए। 12 नवंबर को देहरादून में एक तेज़ रफ्तार कार और ट्रक टकरा जाने से 6 युवाओं की मौत हो गई। इसके अलावा, 14 नवंबर को मंगलौर में एक कार डिवाइडर से टकरा गई, जिससे 4 लोगों की जान गई। राज्य में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर को राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी।

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने इस तरह के रोड एक्सीडेंट्स को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने विशेष तौर पर बढ़ते रोड एक्सीडेंट्स पर उत्तराखंड सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सुरक्षित उत्तराखंड अभियान की शुरुआत करने की मांग रखी है।

फॉरेस्ट फायर

अमिकस क्यूरी ने एनजीटी को 3 नवंबर को बताया की उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर से निपटने के लिए विशेषज्ञता और अवसंरचना की कमी है। इसी के साथ उत्तराखंड में देश में सबसे ज्यादा फॉरेस्ट फायर की घटनाएं हो रही हैं। 22 दिसंबर को भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बताया गया कि नवंबर 2023 से जून 2024 तक राज्य में 21,033 फॉरेस्ट फायर की घटनाएं हुईं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं।

खड़िया खनन और प्रभावक्षेत्र

बागेश्वर जिले में खड़िया खनन से कांडा तहसील के गांवों में दरारें आ रही हैं। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए खनन के गंभीर दुष्परिणामों की गंभीरता पर रिपोर्ट की मांग की । एनजीटी ने भी इस मामले पर निर्देश जारी किये ।

क्वारब में भूस्खलन

सर्दी के मौसम में हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर क्वारब में पहाड़ दरक गया, जिससे यातायात बंद करना पड़ा। सर्वे ऑफ इंडिया ने इस क्षेत्र में उपचार के लिए पहाड़ को तोड़ने की सिफारिश की है। दिसंबर में नासा ने हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ते भूस्खलन के खतरे की चेतावनी दी।

ग्लेशियल लेक का खतरा

ग्लेशियल लेक के बढ़ते पानी से बाढ़ और भूस्खलन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। वन विभाग की रिपोर्ट में भी इसे लेकर चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगोत्री से गोमुख की दूरी 1990 में 18 किमी थी, जो अब बढ़कर 20 किमी हो गई है, यानी गोमुख ग्लेशियर 2 किमी पीछे खिसक गया है।

भविष्य की दिशा

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि उन्होंने और उनकी सहयोगी प्रेरणा रतूड़ी ने 2024 की समस्त उदय रिपोर्ट्स का आकलन प्रारंभ कर दिया है। अगले माह फरवरी में एसडीसी फाउंडेशन की उत्तराखंड में क्लाइमेट, आपदा और सड़क हादसों पर सालाना ईयर बुक रिलीज होने की संभावना है। अक्टूबर 2022 से उदय रिपोर्ट की शुरुआत हुई थी और अभी तक 27 मासिक रिपोर्ट जारी हो चुकी हैं।

 

Reported By: Rajesh Verma

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *