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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद इसमें संशोधन की मांग तेज होने लगी है।
पर्वतीय मूल निवासी इस कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर नाराज़ हैं और इसमें संशोधन की मांग कर रहे हैं,इसी कड़ी में सबसे पहले राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी क्षेत्रीय पार्टी ने देहरादून के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में एक दिवसीय उपवास किया।
उपवास के बाद पार्टी ने प्रशासन की ओर से मौके पर पहुंचे तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत के माध्यम से अपनी आपत्ति जताई तथा राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इसमें सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि यूसीसी के प्रावधानों के अनुसार उत्तराखंड के स्थाई निवासियों की परिभाषा बदल दी गई है इससे डेमोग्राफी तेजी से बदलेगी और उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून के प्रावधान और भी अधिक कमजोर हो जाएंगे।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि यूसीसी के इस प्रावधान से उत्तराखंड में पर्वतीय समाज के रोजगार और भूमि संसाधन तथा संस्कृति पर विपरीत असर पड़ेगा।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष शैलबाला ममंगाई ने कहा कि यदि सरकार एक सप्ताह के अंतर्गत इस पर संशोधन को लेकर विचार नहीं करती तो फिर जन भावनाओं के अनुरूप रीजनल पार्टी आंदोलन को उग्र करने के लिए बाध्य होगी।
उपवास कार्यक्रम मे मुख्यरूप से सुलोचना ईष्टवाल , शैलबाला मंमगाई , प्रांजल नौडियाल, शांति चौहान ,उमा खंडूड़ी , जगदम्बा बिष्ट, राजेन्द्र गुसाँई ,रजनी कुकरेती, कैलाश सती आदि शामिल थे।
क्या है विरोध का कारण?
UCC में स्थायी निवासी की परिभाषा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नए प्रावधानों के तहत –
1. जो व्यक्ति कम से कम एक वर्ष से उत्तराखंड में निवास कर रहा है,उसे स्थायी निवासी माना जा सकता है।
2. राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम में कार्यरत कर्मचारी भी स्थायी निवासी होंगे।
3. राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थी भी इस श्रेणी में आएंगे।
पर्वतीय मूल निवासी इस नियम का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे बाहरी लोगों को आसानी से स्थायी निवासी का दर्जा मिल जाएगा,जिससे स्थानीय संस्कृति,भूमि अधिकार और सामाजिक संरचना प्रभावित होगी।
निष्कर्ष
UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में इसका विरोध अब शुरू हो रहा है,पर्वतीय मूल निवासी इसे अपने अधिकारों और पहचान के लिए खतरा मान रहे हैं। उपवास और ज्ञापन के बाद सरकार पर दबाव बढ़ सकता है,अब देखना यह होगा कि सरकार अगले 1 सप्ताह में क्या कदम उठाती है,या फिर राज्य में एक बड़े जन आंदोलन की शुरुआत होती है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल
Reported By: Shiv Naryan