Home » अखाड़ों की अनुदान मांग पर सवाल: आध्यात्मिकता से व्यवसायिकता की ओर बढ़ते कदम ?

अखाड़ों की अनुदान मांग पर सवाल: आध्यात्मिकता से व्यवसायिकता की ओर बढ़ते कदम ?

Akhadon

Loading

एक चौंकाने वाला समाचार सामने आया है। प्रयागराज में आगामी पूर्ण कुंभ में सम्मिलित होने वाले अखाड़ों ने सरकार से पांच करोड़ रुपए अनुदान राशि देने की मांग की है। सभी प्रकार से संपन्न अखाड़ों की इस प्रकार की मांग अचंभित करती है। अखाड़ों का इतिहास बताता है कि पूर्व में राजा-महाराजा एवं धनाढ्य समाज भी समय समय पर बहुत उदारता के साथ न केवल धन बल्कि भू-दान भी इन्हें करते रहते थे।

150-200 वर्ष पूर्व तक अखाड़े देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार रहते थे। सेना की तरह अखाड़ों में भी अस्त्र-शस्त्र चलाने का अभ्यास होता है और हथियारों का अच्छा-खासा ज़ख़ीरा उपलब्ध रहता है। अखाड़ों में हथियारों के रखरखाव वाले स्थान को छावनी कहा जाता है

धीरे-धीरे समय बीतने के साथ अखाड़ों के संचालन में भी परिवर्तन सामने आने लगे। धन एवं भूमि की कमी न होने के कारण ज़मीनों से आर्थिक लाभ लेने के लिए व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जाने लगीं। अखाड़ों की भूमि पर किराए के लिए दुकानों का निर्माण होने लगा। सिलसिला आगे बढ़ा किराये के लिए फ्लैटों का निर्माण शुरू हो गया। अब तो बताया जा रहा है कि होटल भी बन रहे हैं। अखाड़ों की ज़मीन भी चुपचाप इधर-उधर हो रही है।
व्यवसाय की तरफ रुझान बढ़ने से अखाड़ों में राजनीति पैर पसारने लगी है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आज की राजनीति अर्थ सिद्धांत पर टिकी हुई है। आज के राजनीतिज्ञ अर्थ को अनर्थ बनाने की कला में माहिर हैं। इस तरह के निर्णयों से धीरे-धीरे गलत संदेश निकल रहे हैं। आध्यात्मिकता एवं व्यवसाय परस्पर विरोधी विचारधाराएं हैं। व्यवसाय सात्विक चिंतन को प्रभावित करता है। अखाड़ों से जुड़े संत-महात्माजन अब वैभव प्रदर्शन के द्वारा अपना प्रभुत्व स्थापित करने में लिप्त हैं। बेशकीमती ज़ेवर जवाहारात धारण करना। अपने साथ । महंगी लक्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ सफर करना। अपने साथ शिष्यों एवं अनुयायियों की फौज लेकर निकलना। यह सब तामझाम है, दिखावा है, दान में मिले धन का निष्ठुर दुरुपयोग है। हरिद्वार में अखाड़ों के पास आलीशान हवेलियां आधुनिक फर्नीचर से सुसज्जित हैं।

 

 

Reported by- Ramesh Khanna, Haridwar.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *