Cash For Query Case : तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता छीने जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बता दें कि कैश के बदले सवाल मामले में घिरने और आचार समिति की तरफ से लोकसभा में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सदन के अध्यक्ष ने उन्हें निष्कसित कर दिया था। इसी के खिलाफ आज टीएमसी सांसद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचीं हैं।
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महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे हैं। इन्हीं की जांच कर रही संसद की आचार समिति ने लोकसभा में महुआ की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की थी। बाद में रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महुआ को निष्कासित कर दिया।
आचार समिति में क्या हुआ?
आचार समिति ने 2 नवंबर को पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले (Cash For Query Case) में पूछताछ की थी। साथ ही भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।
बता दें कि कांग्रेस सांसद परनीत कौर सहित समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया और कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर शिकायत के समर्थन में कुछ भी सबूत पेश नहीं किया गया।
अब संसद में रखी गई रिपोर्ट
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन (4 दिसंबर) को आचार समिति की रिपोर्ट को कार्यसूची में शामिल किया गया था। रिपोर्ट में महुआ की सदस्यता निरस्त करने के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए इसकी जांच भी कराने की सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट पेश होने के बाद शुक्रवार (8 दिसंबर) को महुआ के खिलाफ निष्कासन प्रस्ताव लाया गया। वहीं लोकसभा में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद सदन ने समिति की सिफारिश के पक्ष में वोट किया जिससे मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो गई। हालांकि, विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस फैसले के विरोध जताया।
इससे पहले आचार समिति के सामने खुद महुआ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। हालांकि, महुआ मोइत्रा ने पहले एक बयान में अपने पूर्व साथी जय अनंत का जिक्र करते हुए कहा था कि आरोप झूठ पर आधारित थे।
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