देहरादून:
केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी प्रकृति परीक्षण अभियान में उत्तराखंड तेजी से प्रगति कर रहा है। इस अभियान का उद्देश्य आयुर्वेद के त्रिदोष सिद्धांत—वात, पित्त, और कफ—के आधार पर लोगों के स्वास्थ्य का आकलन करना है। राज्य की विशिष्ट आयुर्वेदिक परंपरा और औषधीय संपदा के कारण केंद्र सरकार को इस अभियान में उत्तराखंड से विशेष उम्मीदें हैं।
अभियान का लक्ष्य और प्रगति
यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 अक्टूबर को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली से शुरू किया गया था और यह 25 दिसंबर तक चलेगा। इसका लक्ष्य पूरे देश में एक करोड़ लोगों की प्रकृति का परीक्षण करना है। उत्तराखंड, अपनी समृद्ध आयुर्वेदिक पृष्ठभूमि और औषधीय संपदा के कारण, इस अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने उत्तराखंड को आयुर्वेद की “देवभूमि” बताते हुए कहा कि इस अभियान के माध्यम से राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए प्रभावी कार्य किया जा रहा है। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने भी राज्य की प्रगति को सराहा और इसे देशभर में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार का आदर्श बताया।
आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य का संकल्प
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“आयुर्वेद केवल उपचार की चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। प्रकृति परीक्षण अभियान और आयुष योजनाओं के माध्यम से उत्तराखंड में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास हो रहा है।”
उन्होंने आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह न केवल रोगों का उपचार करता है, बल्कि रोगों की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उत्तराखंड की विशिष्ट भूमिका
डा. आशुतोष गुप्ता, देश के प्रकृति परीक्षण अभियान के सचिव, ने कहा:
“उत्तराखंड की प्रगति अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में आयुष के क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं।”
राज्य में औषधीय जड़ी-बूटियों की समृद्ध परंपरा और आयुर्वेद के प्रति जागरूकता इसे इस अभियान का आदर्श स्थान बनाती है।
भविष्य की योजना
वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो के चलते उत्तराखंड में इस अभियान के और तेज होने की संभावना है। केंद्रीय और राज्य सरकारें मिलकर आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं।
उत्तराखंड अपनी विशिष्ट स्थिति और समर्पित प्रयासों के साथ न केवल इस अभियान में सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है, बल्कि देशभर में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए एक मिसाल पेश कर रहा है।
–Crime Patrol