छठ पूजा, वैसे तो ये महापर्व पूर्वांचल के लोगों का है, बिहार की तरफ इस त्यौहार की तैयारी जोरो शोरों से की जाती है. लेकिन इस बार इस पर्व की चर्चाएं उत्तराखंड में हो रही है. औऱ चर्चा की वजह है उत्तराखंड में रह रहे पूर्वांचल के लोगों को इसकी छुट्टी ना मिलना. दरअसल, इस पर्व की छुट्टी 19 नवंबर को तय की गई थी लेकिन रविवार का दिन होने के चलते उत्तराखंड में रह रहे पूर्वांचली लोगों की मांग है कि उन्हें 20 नवंबर यानि सोमवार की छुट्टी भी दी जाए.

इस पर्व की छुट्टी की मांग पर उत्तराखंड सरकार अभी तक चुप है. वहीं अगर उत्तर प्रदेश और बिहार की बात करें तो वहां की सरकार ने 20 नवंबर यानि सोमवार को सरकारी छुट्टी की घोषणा की है. उत्तराखंड सरकार की इस चुप्पी पर पूर्वांचल के लोगों में नाराजगी देखने को मिली है. उनका कहना है कि ये पर्व उनकी आस्था का पर्व है और ऐसे में उन्हें इसकी छुट्टी दी जाए. इस महापर्व को लेकर खानपुर विधायक उमेश कुमार का भी बयान सामने आया है. उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार अभी तक इस महापर्व की छुट्टी तय नहीं कर पाई है. 

छुट्टी ना मिलने से नाराज पूर्वा सांस्कृतिक मंच के महासचिव सुभाष झा का कहना है कि उत्तराखंड के विकास में पूर्वांचल के लोगों का बहुत योगदान रहता है. ऐसे में उनकी छुट्टी की अनुमति ना मिलना उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ होगा. ऐसे में इस महापर्व की छुट्टी की मांग पर सरकार की चुप्पी से तमात तरह के सवाल खड़े हो गए है. उत्तराखंड में बहुत से बड़े अधिकारी ऐसे है जो पूर्वांचल से है औऱ छुट्टी का ना मिलना उनकी आस्था से सीधे तौर पर खिलवाड़ होगा. अहम बात ये भी है कि उत्तराखंड के सूचना महानिदेश बंशीधर तिवारी जो खुद पूर्वांचल से है क्या उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसकी सलाह भी नहीं दी. क्या खुद पूर्वांचल से होते हुए उन्हें इस महापर्व की अहमियत नहीं पता. औऱ ये बात सभी जानते है कि सूचना महानिदेश को मुख्यमंत्री की आंख नाक कहा जाता है. इससे भी जरूरी ये है कि जब हरेला पर्व की छुट्टी रविवार के दिन थी तो उसके लिए भी सोमवार को आधिकारिक छुट्टी दी गई थी तो फिर पूर्वांचलि लोगों के साथ ये भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

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