ऋषिकेश – अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में विश्व हेपेटाइटिस डे के उपलक्ष्य में प्रिवेंटिव हेपेटोलॉजी और सीएफएम विभाग के तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों के तहत अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर (यूपीएचसी) और रूरल प्राइमरी हेल्थ सेंटर में हेल्थ टॉक और हेपेटाइटिस बी एवं सी की जांच की गई। जनजागरुकता कार्यक्रमों में मरीजों, तीमारदारों और हेल्थ वर्कर्स ने भी हिस्सा लिया।

कार्यक्रमों का आयोजन

एम्स निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह के मार्गदर्शन में प्रिवेंटिव हेपेटोलॉजी और सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग द्वारा यूपीएचसी चंद्रेश्वरनगर, शांतिनगर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रायवाला में जनसमुदाय के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

स्वास्थ्य जागरुकता कार्यक्रम 

सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना की देखरेख में हेल्थ टॉक का आयोजन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों, मरीजों और उनके तीमारदारों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर सीएफएम विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि हेपेटाइटिस-ए और ई संक्रमित भोजन एवं पानी के द्वारा फैलता है।

हेपेटाइटिस के प्रकार और लक्षण

हेपेटाइटिस ए और ई के सामान्य लक्षणों में त्वचा और आंखों का पीला हो जाना, मूत्र का रंग पीला होना, अत्यधिक थकान और खुजली शामिल हैं। गंभीर मामलों में लीवर फेलियर भी हो सकता है। हेपेटाइटिस ए की रोकथाम के लिए टीकाकरण भी किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण

हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से नवजात शिशु को, असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त और रक्त पदार्थ, और संक्रमित सुई द्वारा हो सकता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी का संक्रमण अधिकतर मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखता है और जांच से ही इसका पता चलता है।

संक्रमण का उपचार

हेपेटाइटिस बी की दवा लेने से इस बीमारी के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि हेपेटाइटिस सी का इलाज तीन से छह महीने तक की दवा से संभव है। देश में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत सभी जांचें और दवाइयां निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।

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