देहरादून : राज्यसभा सांसद एवं प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र भट्ट की योग शिक्षा को केंद्रीय पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को राज्यसभा में विशेष उल्लेख के रूप में स्वीकृति मिल गई है। सरकार इस विषय पर लिखित जवाब सदन के पटल पर प्रस्तुत करेगी।

योग शिक्षा की अनिवार्यता पर जोर

महेंद्र भट्ट ने योग को प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक अनिवार्य रूप से शामिल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दिनचर्या में योग का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। स्वास्थ्य और निरोगी काया के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुझाए गए मार्ग पर देश और दुनिया आगे बढ़ रही है। 21 जून को योग दिवस के बाद, पूरे विश्व ने योग शिक्षा के महत्व को समझा है।

विद्यार्थी जीवन में योग की आदत

भट्ट ने सदन में कहा कि आज के व्यस्ततम जीवन में अपने शरीर के लिए समय निकालना कठिन हो गया है। इसलिए, योग को आदत में शामिल करना विद्यार्थी जीवन से ही संभव है। उत्तराखंड सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए माध्यमिक और उच्च शिक्षा में योग शिक्षकों की नियुक्ति शुरू की है।

केंद्र सरकार से अपील

महेंद्र भट्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस धरोहर को युवा पीढ़ी के हृदय में लाने के लिए केंद्रीय शिक्षा में भी प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक योग शिक्षा की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारतीय शिक्षा प्रणाली सुदृढ़ होगी, बल्कि विश्व को भी इस प्राचीन शिक्षा से लाभ मिल सकेगा और स्वास्थ्य रहने का यह मूलमंत्र सामाजिक जीवन का हिस्सा बनेगा।

विशेष उल्लेख में स्वीकृति

भट्ट की इस मांग को विशेष उल्लेख के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसके तहत सरकार इस मुद्दे पर लिखित जवाब सदन के पटल पर रखेगी। इससे योग शिक्षा को केंद्रीय पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

इस प्रकार, योग शिक्षा को केंद्रीय पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में महेंद्र भट्ट का प्रयास महत्वपूर्ण है और इससे देश की शिक्षा प्रणाली में एक सकारात्मक बदलाव की संभावना है।

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