हरिद्वार के खड़खड़ी शमशान घाट में माँ भवानी शंकर नंद गिरी (प्रथम किन्नर नागा संन्यासी) ने चिता की राख से अनोखी होली खेली।
इस आध्यात्मिक आयोजन में पारंपरिक रंगों के साथ चिता की राख का उपयोग किया गया, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता है।
माँ भवानी ने कहा कि “श्मशान की होली” आत्मा की शुद्धि और ब्रह्म साक्षात्कार की साधना का हिस्सा है। यह परंपरा जीवन की नश्वरता और मृत्यु के रहस्य को दर्शाती है।
अघोरी साधना की इस प्रथा के तहत वे श्मशान में निवास कर साधना करते हैं, जिसका उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और विश्व कल्याण है।
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Reported By: Praveen Bhardwaj