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हाल ही में केदारनाथ में हुए हेलिकॉप्टर हादसे को लेकर सामने आए तथ्यों ने इस त्रासदी की वजहों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों में हादसे का कारण खराब मौसम बताया गया था, लेकिन पायलट्स, ग्राउंड स्टाफ के बयान और RT कॉल रिकॉर्डिंग के मुताबिक यह दुर्घटना मौसम नहीं, बल्कि DGCA की असुरक्षित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) और अनुभवहीन फ्लाइट ऑपरेशन्स इंस्पेक्टर्स (FOIs) की लापरवाही का नतीजा थी।
SOP की चूक और निर्दोष पायलट्स पर कार्रवाई
हादसे में जान गंवाने वाले पायलट पर 9000 फीट की SOP का पालन करने का दबाव था, जिसके चलते वह बादलों में घुस गया और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया – इसे Controlled Flight Into Terrain (CFIT) की क्लासिक मिसाल माना जा रहा है। दूसरी ओर, जिन दो पायलट्स ने सुरक्षित तरीके से बादलों के नीचे से उड़ान भर कर यात्रियों को पहुंचाया, उनका लाइसेंस DGCA ने तुरंत सस्पेंड कर दिया, बिना किसी जांच या AAIB रिपोर्ट के।
अधिकारियों की जिम्मेदारी पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक DGCA के अधिकारियों ने हादसे के बाद केंद्र सरकार को गुमराह किया, गलत रिपोर्ट भेजी और असली दोषियों को बचाया। ऐसे अफसरों की नीतियों ने SOP तैयार की, जिसने एक जान ले ली और अन्य पायलट्स को सजा दिलवाई। इसे “administrative negligence” और “regulatory homicide” तक कहा जा रहा है।
उठते सवाल:
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SOP की खामियों की शिकायतों के बावजूद बदलाव क्यों नहीं किया गया?
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FOIs की नियुक्ति किन मापदंडों पर हुई, और क्या उनके पास हेलिकॉप्टर ऑपरेशनों का व्यावहारिक अनुभव था?
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बिना जांच निर्दोष पायलट्स को सस्पेंड करना क्या नियमानुसार था?
पायलट्स और परिवारों की मांग
अब तक पायलट समुदाय में जबरदस्त आक्रोश है। वे सस्पेंशन वापस लेने, दोषी अफसरों पर आपराधिक मामला चलाने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। हादसे में मारे गए पायलट के परिजन भी न्याय के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।
आगे की रणनीति
बताया जा रहा है कि एक विस्तृत व्हाइट पेपर तैयार किया जा रहा है, जिसे DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सौंपा जाएगा। साथ ही, मामला मीडिया, अदालत और संसद तक ले जाया जाएगा ताकि असली दोषी सामने आ सकें और भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
इस बार, मामला दबने नहीं दिया जाएगा।
Reported By: Arun Sharma